You are currently viewing डेयरी बिजनेस शुरू करने और अमूल जैसी सोसाइटी से जुड़ने के फायदे

डेयरी बिजनेस शुरू करने और अमूल जैसी सोसाइटी से जुड़ने के फायदे


नई दिल्ली. भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और यहां डेयरी बिजनेस (Dairy Business) एक बेहद लाभकारी और टिकाऊ विकल्प माना जाता है. 2024 में भारतीय डेयरी मार्केट का मूल्य ₹11.3 लाख करोड़ था, जो 2032 तक बढ़कर ₹22.9 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. खासकर सहकारी समिति (Cooperative Society) के जरिए दूध का व्यवसाय शुरू करना छोटे और मध्यम किसानों के लिए बेहतरीन अवसर है, क्योंकि इसमें सामूहिक संसाधनों और सरकारी योजनाओं का फायदा मिलता है.

यह मॉडल न सिर्फ लागत को साझा करता है बल्कि किसानों को बेहतर दाम और बाजार तक आसान पहुंच भी दिलाता है. अमूल (Amul) इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसके पास आज 18,000 से ज्यादा सहकारी समितियां हैं. अगर आप भी दूध का व्यवसाय सहकारी समिति के साथ शुरू करना चाहते हैं, तो यह गाइड आपके लिए है.

पंजीकरण और कानूनी औपचारिकताएं

सहकारी समिति को राज्य के सहकारी अधिनियम के तहत पंजीकृत करना होता है. इसके लिए जिला सहकारी रजिस्ट्रार से संपर्क करना पड़ता है और सदस्यों की सूची, शेयर पूंजी व बायलॉज जैसे दस्तावेज जमा करने होते हैं. इसके अलावा, खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) से लाइसेंस लेना जरूरी है. बड़े स्तर पर काम करने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मंजूरी भी चाहिए होती है.

ढांचा और संचालन

एक स्वच्छ दूध संग्रह केंद्र, स्टेनलेस स्टील कंटेनर, इलेक्ट्रॉनिक मिल्को टेस्टर और कूलर जैसे उपकरण जरूरी हैं. साथ ही, पशुओं के लिए पौष्टिक चारे और साफ पानी की व्यवस्था करनी होगी. पशु स्वास्थ्य सेवाएं, कृत्रिम गर्भाधान और किसानों को प्रशिक्षण भी इस प्रक्रिया का अहम हिस्सा है. समिति का संचालन एक मैनेजिंग कमेटी करती है, जो नीतियां बनाती और कार्यों की देखरेख करती है.

फंडिंग और सरकारी योजनाएं

डेयरी बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चलाती है. नाबार्ड की डेयरी उद्यमिता विकास योजना (DEDS) किसानों को 25-33% तक सब्सिडी देती है. इसके अलावा बैंक भी डेयरी के लिए विशेष ऋण उपलब्ध कराते हैं. सहकारी समिति का फायदा यह है कि सामूहिक सौदेबाजी से किसानों को दूध की कीमतें बेहतर मिलती हैं और लागत भी कम होती है.

मार्केटिंग और विस्तार

स्थानीय दुकानों, होटलों और घरों तक दूध की सप्लाई करके शुरुआत की जा सकती है. आगे चलकर दही, पनीर, घी और फ्लेवर्ड मिल्क जैसे वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट से मुनाफा बढ़ाया जा सकता है. आजकल डिजिटल मार्केटिंग और होम डिलीवरी सेवाएं भी डेयरी बिजनेस को तेजी से आगे बढ़ा रही हैं. जिला दुग्ध संघ और अमूल जैसे बड़े नेटवर्क से जुड़ना भी किसानों को बड़ा फायदा दिला सकता है.



Source link

Leave a Reply