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Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत को ऑस्ट्रेलिया का समर्थन


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Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत का साथ एक ऐसे देश ने दिया है, जो QUAD समूह का हिस्सा है. इसी समूह में शामिल अमेरिका और जापान ने आतंकवाद को लेकर इतना स्पष्ट बयान नहीं दिया है, जितना ऑस्ट्रेलिया ने …और पढ़ें

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत, छिपा है ट्रंप के लिए सबक!

पहली बार QUAD देश का मिला समर्थन.

हाइलाइट्स

  • ऑस्ट्रेलिया ने ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का समर्थन किया.
  • ऑस्ट्रेलिया QUAD समूह का पहला देश जिसने भारत का समर्थन किया.
  • डोनाल्ड ट्रंप को भारत से सबक लेना चाहिए.

जब से भारत ने आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया है, तब से विश्व में तमाम देशों के चेहरे से नकाब उतर गया है. आतंकवाद पर ज़ीरो टॉलरेंस की बातें करने वाले भी चुप नज़र आए, तो वहीं कुछ मित्र राष्ट्रों ने भरत को खुलकर समर्थन दिया. अमेरिका और ब्रिटेन की ओर से भले ही भारत को खुले लफ्ज़ों में समर्थन न मिला हो, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने स्पष्ट रूप से भारत के साथ खड़े होने का ऐलान किया .

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत का साथ पहली बार एक ऐसे देश ने दिया है, जो QUAD समूह का हिस्सा है. इसी समूह में शामिल अमेरिका और जापान ने आतंकवाद को लेकर इतना स्पष्ट बयान नहीं दिया है, जितना ऑस्ट्रेलिया ने दिया है. भारत के दौरे पर आए ऑस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री रिचर्ड मार्लेस ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का साथ देने की घोषणा की.

भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत

भारत के पक्ष में पहलगाम हमले पर सबसे पहले और प्रमुख रूप से बयान देने वाला पहला क्वाड (Quad) देश ऑस्ट्रेलिया है. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 4 जून 2025 को हुई द्विपक्षीय वार्ता में, भारतीय अधिकारियों ने ऑस्ट्रेलियाई उपप्रधानमंत्री रिचर्ड मार्ल्स को सूचित किया कि पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कार्रवाई सोची-समझी और संतुलित थी. उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात भी की. पहली बार भारत आए मार्लेस ने स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ खड़ा है. ये बात इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है कि क्योंकि ऑस्ट्रेलिया उसकी QUAD समूह का सदस्य देश है, जिसमें अमेरिका भी शामिल है.

डोनाल्ड ट्रंप को लेना चाहिए सबक

QUAD समूह में अमेरिका भी शामिल है, जिसने पहलगाम हमले के बाद से एक बार भी खुलकर ये नहीं कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वो भारत के साथ है. ये वही अमेरिका है, जो आतंकवाद का दर्द झेल चुका है और उसके ज़ख्म शायद कभी नहीं भरेंगे. बावजूद इसके जैसे ही बाद पाकिस्तान पर कूटनीतिक कार्रवाई या आतंकवाद के खिलाफ भारत के समर्थन की आती है, डोनाल्ड ट्रंप की भाषा ही बदल जाती है. खासतौर पर जिस तरह उन्होंने दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव के बीच सीज़फायर का श्रेय किया, वो बहुत ही अजीब था. भारत उनकी मध्यस्थता को नकारता रहा लेकिन पाकिस्तान के साथ मिलकर वे सीज़फायर का झूठा प्रोपेगेंडा फैलाते रहे.

RIC बनेगा सिरदर्द?

इसी बीच एक और कूटनीतिक चाल में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में कहा कि रूस-भारत-चीन (RIC) के तीन पक्षीय मंच को एक्टिव करने की बात कही. रूसी विदेश मंत्री ने बयान ऐसे समय दिया जब अमेरिका की अगुवाई वाला QUAD एशिया में सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है. ये अमेरिका के लिए सिरदर्द बन सकता है. अगर RIC को अगर दोबारा एक्टिव किया जाता है तो यह अमेरिका के प्रभाव को एशिया में संतुलित करेगा. भारत के लिए इसमें शामिल होना एक बैलेंस्ड डिप्लोमैटिक स्टेप हो सकता है.

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Prateeti Pandey

News18 में Offbeat डेस्क पर कार्यरत हैं. इससे पहले Zee Media Ltd. में डिजिटल के साथ टीवी पत्रकारिता भी अनुभव रहा है. डिजिटल वीडियो के लेखन और प्रोडक्शन की भी जानकारी . टीवी पत्रकारिता के दौरान कला-साहित्य के सा…और पढ़ें

News18 में Offbeat डेस्क पर कार्यरत हैं. इससे पहले Zee Media Ltd. में डिजिटल के साथ टीवी पत्रकारिता भी अनुभव रहा है. डिजिटल वीडियो के लेखन और प्रोडक्शन की भी जानकारी . टीवी पत्रकारिता के दौरान कला-साहित्य के सा… और पढ़ें

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