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Donald Trump Tariff News: डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ को अमेरिकी कोर्ट ने अवैध बताया है. नील कात्याल के तर्कों से ही ट्रंप को हार मिली है. नील कात्याल ने ट्रंप को टैरिफ के खेल में ऐसे पस्त किया कि अब उन्हें सुप्रीम …और पढ़ें
नील कात्याल ने ट्रंप को टैरिफ के खेल में किया पस्त.सबसे पहले जानते हैं कि कोर्ट ने क्या फैसला दिया है. यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट ने फैसला सुनाया कि डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाया गया टैरिफ अवैध है. ट्रंप टैरिफ लगाने के हकदार नहीं हैं. ट्रंप ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) के तहत अपनी सीमाओं का अतिक्रमण किया.अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ट्रंप के पास ऐसे व्यापक अधिकार नहीं थे कि वे इस तरह के टैरिफ यानी शुल्क लगा सकें. हालांकि, अदालत ने टैरिफ को 14 अक्टूबर तक जारी रहने की अनुमति दी है, ताकि ट्रंप प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का मौका मिल सके. अगर कोर्ट में डोनाल्ड ट्रंप को हार मिली है तो उसकी वजह एक भारतीय मूल का शख्स ही है.
जी हां, नील कात्याल नामक शख्स ने ही डोनाल्ड ट्रंप को टैरिफ पर चारों खाने अदालत में चित कर दिया. नील कात्याल पेशे से वकील है. यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट में नील कात्याल याचिकाकर्ता की ओर से वकील थे. उन्होंने ही अपने तर्कों के दम पर टैरिफ के खेल में डोनाल्ड ट्रंप को पटखनी दी. नील कुमार कत्याल एक अमेरिकी वकील और कानूनी विद्वान हैं. नील कात्याल भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं. उनके माता-पिता भारतीय मूल के हैं. माता का नाम प्रतिभा और पिता का नाम सुरेंदर है. पिता की मौत हो चुकी है. उनकी मां डॉक्टर हैं. नील कात्याल ने अदालत में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ मजबूत तर्क दिए. इससे कोर्ट ने फैसला डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ में दिया.
कोर्ट के फैसले पर डोनाल्ड ट्रंप ने गहरी निराशा व्यक्त की है. उन्होंने इसे “बहुत पक्षपाती” बताते हुए इसकी आलोचना की और कहा कि वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे, जहां उन्हें मदद मिलने की उम्मीद है. डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, ‘अगर इसे ऐसे ही रहने दिया गया तो यह निर्णय सचमुच संयुक्त राज्य अमेरिका को नष्ट कर देगा.’ उन्होंने साफ कर दिया कि टैरिफ अभी लागू है और आगे भी लागू रहेंगे. वाइट हाउस ने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट में टैरिफ पर ट्रंप की जीत होगी.
अगर भारत सुप्रीम कोर्ट में कानूनी चुनौती से बच जाता है, तो उस पर लगाया गया 25 फीसद टैरिफ जरूर हटा दिया जाएगा. हालांकि, यह साफ नहीं है कि रूस से तेल खरीदने पर लगाया गया 25 फीसद दंडात्मक शुल्क भी इस फैसले में शामिल है या नहीं, क्योंकि होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम का कहना है कि यह शुल्क रूस से अमेरिका को होने वाले खतरे से निपटने के लिए लगाया गया था. कोर्ट के फैसले में उन शुल्कों को शामिल नहीं किया गया है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण स्टील, एल्युमीनियम और तांबे पर लगाए गए हैं. इसलिए, ऐसा लगता है कि तेल पर लगने वाला टैरिफ अभी भी जारी रह सकता है.
अमेरिकी कोर्ट ऑफ अपील्स ने 7-4 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है कि टैरिफ लगाने का अधिकार मुख्य रूप से कांग्रेस के पास है, न कि राष्ट्रपति के पास। यह फैसला ट्रंप के टैरिफ संबंधी फैसले के खिलाफ है. कोर्ट ने कहा कि संविधान में टैरिफ लगाने की शक्ति विशेष रूप से कांग्रेस को दी गई है. जब ट्रंप सरकार ने ट्रेड वॉर शुरू किया, तो उन्होंने आईईईपीए कानून का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि व्यापार घाटे की वजह से देश में आर्थिक आपातकाल की स्थिति बन गई है। इसी के आधार पर उन्होंने सामानों पर टैरिफ यानी सीमा शुल्क लगा दिया था. अदालत ने कहा कि कानून में साफ तौर पर टैरिफ या टैक्स लगाने का अधिकार नहीं दिया गया है.

Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho…और पढ़ें
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