
चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है. इस स्थिति में सूर्य का प्रकाश सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता और चंद्रमा अंधकारमय दिखने लगता है. 7 सितंबर को दिखाई देने वाला चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होने वाला है इसलिए पूर्ण चंद्र ग्रहण में पूरा चांद काला या तांबे जैसा लाल दिखता है. इस बार चंद्रमा ग्रहण के समय पूरा लाल दिखाई देगा. खगोलशास्त्र इसे ब्लड मून कहा जाता है. चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट और 2 सेकेंड की होने वाली है.
सूतक काल क्या होता है?
सूतक काल ग्रहण शुरू होने से पहले का वह समय है, जिसमें पूजा-पाठ, खाना पकाना या शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है. ग्रहण से पहले का अशुभ समय सूतक काल कहलाता है लेकिन यह काल धार्मिक और शास्त्रीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है. चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले लगता है. इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और पूजा नहीं की जाती. चंद्र ग्रहण का सूतक काल 12 बजकर 57 मिनट से शुरू हो जाएगा.
चंद्र ग्रहण का सूतक काल शुरू: दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से
चंद्रग्रहण आरंभ का समय : रात में 8 बजकर 58 मिनट से मध्यरात्रि 1 बजकर 25 मिनट तक.
पूर्ण ग्रहण, चंद्रमा पूरी तरह से ढक जाएगा : मध्यरात्रि 11 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 23 मिनट तक.

भारत के अलावा इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली समेत यूरोप के कई देशों में देखा जा सकता है. साथ ही अफ्रीका के अधिकतर देश, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी दिखाई देगा.
सूतक काल के नियम
1- इस अवधि में खाना-पीना, मल-मूत्र त्याग के बाद स्नान किए बिना पूजा वर्जित है.
2- गर्भवती स्त्रियों को विशेष सावधानी रखनी चाहिए क्योंकि ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ सकता है.
3- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस समय जप, तप, पाठ और ध्यान अत्यंत फलदायी होते हैं
4- तुलसी, कुश या दूर्वा पत्ते भोजन पर रख देने से वह ग्रहण दोष से मुक्त रहता है.
ग्रहण समाप्ति के बाद जरूरी बातें
1- चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद जल में गंगाजल मिलाकर स्नान अवश्य करना चाहिए.
2- घर में गंगाजल का छिड़काव करें और देवी-देवताओं की पूजा करें.
3- चंद्र ग्रहण पितृपक्ष के पहले दिन है इसलिए पितरों के नाम का दान-पुण्य अवश्य करें.



