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अजवाइन सिर्फ रसोई की खुशबू बढ़ाने वाला मसाला नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली औषधीय पौधा है, जिसका उपयोग सदियों से घरेलू उपचारों में किया जाता रहा है. भारत में इसकी पत्तियों से लेकर बीज और तने तक हर हिस्सा सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं माना जाता. सर्दी-जुकाम से लेकर पाचन, त्वचा रोग, खांसी-बुखार और यहां तक कि डायबिटीज तक, अजवाइन कई समस्याओं में प्राकृतिक राहत देने की क्षमता रखती है. इसकी यही औषधीय ताकत इसे आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है.

भारत में अनेक पेड़-पौधे और फल-फूल अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं. इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण पौधा अजवाइन का है, जिसकी खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है. अजवाइन के पौधे का हर हिस्सा पत्ते, बीज और तना, औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है. यह पौधा प्राकृतिक चिकित्सा का अहम हिस्सा है और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है.

जिला अस्पताल बाराबंकी के चिकित्सक डॉ. अमित वर्मा (एमडी मेडिसिन) बताते हैं कि अजवाइन एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है. इसके पत्ते और बीज का उपयोग ज्यादातर मसाले के रूप में किया जाता है, लेकिन यह हमारी सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है, क्योंकि इसमें भरपूर औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसमें विटामिन A, C, कैल्शियम, फ़ॉस्फ़ोरस, पोटैशियम, सोडियम, मैग्नीशियम, आयरन और प्रोटीन जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो हमें कई बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं.

सर्दी–जुकाम की समस्या में अजवाइन बेहद फायदेमंद मानी जाती है. जिन लोगों को बार-बार सर्दी या नाक बंद होने की परेशानी रहती है, वे यह घरेलू उपाय ज़रूर आज़माएं. इसके लिए सबसे पहले अजवाइन की कुछ ताज़ी पत्तियां लें और उन्हें 1 गिलास पानी में डालकर अच्छी तरह उबालें. पानी को तब तक उबलने दें, जब तक वह आधा न रह जाए। जब काढ़ा तैयार हो जाए, तो आंच से उतारकर थोड़ा ठंडा होने दें और फिर पिएं. यह सर्दी-जुकाम में काफी राहत देता है.

दाद, खाज, खुजली और चर्म रोगों में अजवाइन के पत्ते काफी लाभकारी माने जाते हैं. इसके पत्तों का गाढ़ा लेप बनाकर दाद, खुजली या संक्रमण वाले घाव पर लगाने से आराम मिलता है. अजवाइन को उबलते हुए पानी में डालकर अच्छी तरह घुलने दें. फिर इसे छानकर ठंडा कर लें और उसी पानी से प्रभावित जगह को धोएं. इससे दाद, फुंसियों और गीली खुजली जैसे चर्म रोगों में राहत मिलती है.

डायबिटीज की समस्या में भी अजवाइन काफी लाभकारी मानी जाती है. इसके नियमित सेवन से शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है. डायबिटीज नियंत्रण के लिए लगभग 3 ग्राम अजवाइन को 10 मिली तिल के तेल के साथ दिन में तीन बार लेने से फायदा देखा गया है. यह मिश्रण ब्लड शुगर को संतुलित रखने में सहायक होता है.

बुखार और खांसी में राहत पाने के लिए भी अजवाइन का उपयोग बेहद प्रभावी माना जाता है. इसके लिए लगभग 2 ग्राम अजवाइन और आधा ग्राम छोटी पिप्पली का काढ़ा तैयार करें. तैयार काढ़े को 5 से 10 मिली मात्रा में पिएं. यह मिश्रण खांसी, बुखार और गले की जकड़न जैसी समस्याओं में आराम देने में मदद करता है.

गठिया और जोड़ों के दर्द में भी अजवाइन की पत्तियां काफी फायदेमंद मानी जाती हैं. यदि आप रोजाना अजवाइन की पत्तियों का जूस पीते हैं, तो इससे थकान कम होती है और शरीर में हल्कापन महसूस होता है. साथ ही, इन पत्तियों का सेवन उन लोगों के लिए भी लाभदायक माना जाता है जो अर्थराइटिस या रह्यूमेटाइड जैसी समस्याओं से जूझ रहे होते हैं. यह हड्डियों और जोड़ों में होने वाली सूजन को कम करने में मदद कर सकता है.



