सूर्य अर्घ्य का धार्मिक महत्व
सूर्य को हिन्दू धर्म में देवता का दर्जा दिया गया है. उन्हें साक्षात भगवान विष्णु और ब्रह्मा का स्वरूप माना गया है. वे ही ऐसे देव हैं जो प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देते हैं और हमें जीवन, प्रकाश और ऊर्जा देते हैं. यही कारण है कि उन्हें दिन की शुरुआत में नमस्कार और अर्घ्य देकर सम्मान दिया जाता है. कई धार्मिक ग्रंथों में सूर्य देव को अर्घ्य देने से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति का उल्लेख मिलता है.
जब हम सुबह खुले आसमान के नीचे खड़े होकर सूर्य की ओर मुख करके जल अर्पित करते हैं, तो हमारे शरीर को प्राकृतिक विटामिन D मिलती है. यह हड्डियों को मजबूत करती है और इम्युनिटी को बढ़ाती है. साथ ही सूर्य की पहली किरण आंखों और दिमाग पर भी सकारात्मक असर डालती है. जब हम तांबे के लोटे से जल अर्पित करते हैं, तो यह धातु शरीर के भीतर संतुलन बनाने में मदद करती है.
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ कपड़े पहनें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके, एक तांबे के लोटे में साफ जल लें. उसमें थोड़ा सा लाल चंदन, अक्षत (चावल) और एक फूल डाल सकते हैं. फिर सूर्य की पहली किरण पर नजर रखते हुए दोनों हाथों से धीरे-धीरे जल अर्पित करें. जल गिरते समय हाथ जोड़कर “ॐ सूर्याय नमः” या “ॐ आदित्याय नमः” मंत्र बोलें.

सूर्य अर्घ्य का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष में सूर्य को आत्मा, सम्मान, पिता और सरकारी सेवा का कारक माना गया है. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, उन्हें बार-बार फेलियर, आत्मविश्वास की कमी और मानसिक भ्रम जैसी समस्याएं आती हैं. ऐसे लोगों को रोज सूरज को जल चढ़ाने की सलाह दी जाती है. यह उपाय उनकी कुंडली में सूर्य को मज़बूत करता है और जीवन में स्थिरता लाता है.
जिन लोगों को नौकरी में प्रमोशन नहीं मिल रहा हो. जिनका आत्मविश्वास बार-बार डगमगाता हो. जो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हों. जिनके घर में बार-बार क्लेश या आर्थिक समस्या रहती हो. जिनकी सेहत बार-बार बिगड़ती हो.
सूर्य को अर्घ्य देना एक ऐसा सरल लेकिन असरदार उपाय है जो हर उम्र, हर परिस्थिति और हर जाति-धर्म के व्यक्ति के लिए फायदेमंद है. इसे अपनाकर आप न सिर्फ आध्यात्मिक लाभ पा सकते हैं, बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से भी मज़बूत बन सकते हैं. रोज़ सुबह बस 5 मिनट का यह छोटा-सा नियम आपके पूरे दिन को सकारात्मक और ऊर्जावान बना सकता है.



