बता दें कि हरियाणा सरकार फरीदाबाद के 18 गांवों की लगभग 4500 एकड़ जमीन पर इन सैक्टरों के अलावा एक टाउनशिप भी बनाने जा रही है. हालांकि यह टाउनशिप इंडिस्ट्रयल होगी. जो 12 सेक्टर बनने जा रहे हैं उनमें सेक्टर 94 A, 96, 96 A, 97 A, 99, 100, 101, 102, 103, 140, 141 और 142 शामिल हैं. इनमें सेक्टर 100 को कमर्शियल सेक्टर बनाया जाएगा वहीं सेक्टर 96 A और 97 A पब्लिक यूटिलिटी स्पेस बनाए जाएंगे यानि यहां स्कूल, अस्पताल, सरकारी दफ्तर जैसी बुनियादी सुविधाएं होंगी.
यहां बनेगी इंडिस्ट्रयल टाउनशिप
फरीदाबाद और पलवल जिलों के 9 गांवों में करीब 9000 एकड़ जमीन पर एक आधुनिक इंडस्ट्रियल टाउनशिप भी विकसित की जाएगी. जेवर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के पास बनने वाली यह टाउनशिप सिर्फ ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं होगी, बल्कि नए उद्योगों, रोजगार के अवसरों और फरीदाबाद को एक औद्योगिक हब में बदलने का रास्ता होगी. इसका निर्माण हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HSIIDC) करेगा.
इस पूरी परियोजना के लिए फरीदाबाद के सोतई, सुनपेड़, साहुपुरा, मलेरना और जाजरू की जमीन खेड़ी कलां, नचौली, ताजापुर, ढहकोला, शाहबाद, बदरपुर सैद, भैंसरावली, फत्तुपुरा, भुआपुर, जसाना, फरीदापुर, सदपुरा व तिगांव की जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा. ऐसे में यहां के आसपास के गांवों में भी जमीन के दाम आसमान छूएंगे.
किसानों की मर्जी से ली जाएगी जमीन
सरकार का कहना कि पूरी प्रक्रिया को मानवीय संवेदनाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया है. जमीन जबरन नहीं ली जाएगी. किसानों की सहमति के बिना कोई जमीन नहीं खरीदी जाएगी. जो किसान अपनी जमीन देना चाहते हैं, उन्हें 31 अगस्त तक ई-भूमि पोर्टल (ebhoomi.jamabandi.nic.in) पर आवेदन करना होगा. सरकार ने पारदर्शिता बरतते हुए सेक्टरों और इंडस्ट्रियल टाउनशिप में आने वाले खसरा नंबरों की सूची HSVP और HSIIDC की वेबसाइट पर डाल दी है, जिससे किसान स्वयं देख सकें कि उनकी जमीन योजना में शामिल है या नहीं.
किसानों द्वारा आवेदन के बाद विभागीय अधिकारी जमीन की कीमत तय करेंगे और किसान की सहमति मिलने पर रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू होगी. खास बात यह है कि भुगतान रजिस्ट्री के समय ही पूरा कर दिया जाएगा, ताकि किसान को तुरंत उसका हक मिल जाए.
क्यों खास है ये परियोजना
यह परियोजना इसलिए भी खास है क्योंकि आज भी फरीदाबाद में अधिकतर इंडस्ट्रीज गैर-कानूनी (नॉन-कंफर्मिंग) क्षेत्रों में चल रही हैं, जहां न तो पर्याप्त सुविधाएं हैं और न ही सरकार की कोई सीधी पहुंच है. उद्यमी लंबे समय से एक वैध, सुविधाजनक और संगठित इंडस्ट्रियल एरिया की मांग कर रहे थे, यह योजना उसी मांग का जवाब है.
इतना ही नहीं, शहर में अभी तक जो भी सेक्टर बने हैं, वे मुख्यतः निजी बिल्डरों के द्वारा विकसित किए गए हैं. सरकार की तरफ से यह पहली बार है जब मास्टर प्लान 2031 के तहत स्वयं सेक्टरों को विकसित किया जा रहा है. यह पहल लोगों के उस सपने को साकार करने की दिशा में है, जिसमें वे एक सुनियोजित और सुरक्षित वातावरण में अपना घर बनाना चाहते हैं.



