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जिस कार में एकसाथ बैठे मोदी-पुतिन, इसे भेद नहीं सकती 7.62 mm की गोली, बम भी बेअसर


तारीख 1 सितंबर 2025. जगह तियानजिन (चीन). SCO समिट का माहौल था. बड़ी-बड़ी मीटिंग्स, नेताओं की भीड़ और दुनिया भर के कैमरे. सब कुछ सामान्य चल रहा था… लेकिन तभी एक ऐसा नज़ारा सामने आया, जिसने सबका ध्यान खींच लिया. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक ही कार में बैठे और वहां से रिट्ज-कार्लटन होटल पहुंचे. इसी होटल में दोनों नेताओं की द्विपक्षीय बैठक तय थी. अमेरिका अभी भारत पर रूस से सस्ता तेल न खरीदने को लेकर दबाव डाल रहा है और इसी की ऐवज में भारतीय सामान पर 50 फीसदी का टैरिफ भी लगा चुका है. ऐसे वक्त पर मोदी और पुतिन का साथ में बैठकर सफर करना यह संकेत देना था कि ‘दोस्ती मज़बूत है’.

दोनों की एकसाथ यात्रा के कई गहरे राजनीतिक मायने तो हैं ही, जिनसे जुड़ी खबरें हम लिख चुके हैं. इस खबर में हम आपको उस कार के बारे में जानकारी देंगे, जिसमें मोदी और पुतिन ने सवारी की. दुनिया के दो पावरफुल नेता जिस कार में एक साथ बैठे, वो कोई साधारण गाड़ी नहीं हो सकती. पीएम मोदी ने इस पल को सोशल मीडिया पर भी शेयर किया. उन्होंने X (ट्विटर) पर लिखा- SCO की बैठकों के बाद पुतिन जी और मैं साथ-साथ बैठक स्थल तक गए. उनसे बातचीत हमेशा नई सोच और दिलचस्प नज़रिया देती है.

किस कार में बैठे थे मोदी और पुतिन?

कई रिपोर्ट्स के मुताबिक यह कार औरस सेनट (Aurus Senat) थी. रूस की वही आलीशान बुलेटप्रूफ लिमोज़ीन, जिसे पुतिन का ‘राष्ट्रपति वाहन’ कहा जाता है. कहा तो यह भी गया कि चीन ने यह कार पुतिन को दी थी, लेकिन इस बारे में जानकारी बहुत क्लीयर नहीं है, क्योंकि Aurus Senat रूस की ही NAMI इंस्टीट्यूट की बनायी हुई कार है और आमतौर पर पुतिन हर बड़ी मीटिंग में इसी का इस्तेमाल करते हैं. पिछले साल जुलाई 2024 में भी मोदी-पुतिन साथ में इसी कार में देखे गए थे.

रूसी पत्रकार पावेल ज़ारुबिन के मुताबिक, दोनों नेताओं ने एकसाथ सफ़र करने का फ़ैसला उसी समय लिया गया. यह कोई पहले से तय कार्यक्रम नहीं था. इसका मतलब यह हुआ कि गाड़ी शायद पुतिन की सिक्योरिटी में लगी गाड़ियों के काफ़िले से ही ली गई होगी, और यही Aurus Senat होने की सबसे बड़ी संभावना है.

Aurus Senat: चलते-फिरते किले की ताकत

औरस सेनट एक खास बख्तरबंद (आर्मर्ड) लिमोज़ीन कार है, जिसे रूस के NAMI संस्थान ने बनाया है. यह कार खास तौर पर बड़े नेताओं, जैसे कि राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री, की सुरक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह बहुत मजबूत और सुरक्षित है, और इसमें कई ऐसी विशेषताएं हैं जो इसे खतरों से बचाने में मदद करती हैं.

गोली और हमले से सुरक्षा

  • मजबूत कवच (आर्मर): यह कार एक ही टुकड़े में स्टील से बनी है. मतलब पूरी कार में कट नहीं लगे हैं. इसका कई परतों वाला कवच है. इस कवच में स्टील, सिरैमिक्स, और शायद एल्यूमिनियम जैसी धातुओं को मिलाकर लगाया गया है. यह इतना मजबूत है कि ड्रैगुनोव स्नाइपर राइफल से निकली गोली 7.62 mm की गोली भी इसे भेद नहीं सकती. इसे रूस के BR5 मानक या यूरोप के VR10 मानक तक की रेटिंग मिली है, जो इसे बहुत सुरक्षित बनाता है.
  • बुलेटप्रूफ शीशे: कार के शीशे 6 सेंटीमीटर से भी ज़्यादा मोटे हैं और इन्हें खास तौर पर गोली रोकने के लिए बनाया गया है. ये शीशे BR5 या उससे ऊंचे स्तर की गोलियों को भी रोक सकते हैं. यानी बड़े और खतरनाक हथियारों की गोलियां भी इन शीशों को नहीं भेद सकतीं.
  • सील्ड दरवाजे और जोड़: कार के दरवाज़ों और जोड़ों को इस तरह मजबूत किया गया है कि गोलियां, रासायनिक पदार्थ, या बम के टुकड़े अंदर नहीं घुस सकते. यह उन कमज़ोर जगहों को सुरक्षित करता है, जहां आमतौर पर बख्तरबंद गाड़ियां कमजोर होती हैं.

बम और विस्फोट से सुरक्षा

  • नीचे और ऊपर की सुरक्षा: कार के निचले हिस्से (अंडरबॉडी) और छत को बम-रोधी प्लेटों से मजबूत किया गया है. यह कार को नीचे या ऊपर फटने वाले बमों, जैसे कि IED (इम्प्रोवाइज़्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) या ग्रेनेड, से बचाने में सक्षम है. इसे पूरी तरह बम-रोधी बताया जाता है, यानी यह सीधे बम के धमाके को भी झेल सकता है.
  • मजबूत ढांचा: कार का एक ही टुकड़े में बना ढांचा इसे विस्फोटों के दौरान टूटने से बचाता है. इससे कार का केबिन सुरक्षित रहता है, और अंदर बैठे लोग पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं.

स्पीड और भागने की ताकत

  • इंजन की ताकत: इस कार में 4.4-लीटर का ट्विन-टर्बो V8 हाइब्रिड इंजन है, जो लगभग 598 हॉर्सपावर की ताकत देता है. यह कार 6,200 से 7,200 किलोग्राम वजन की होने के बावजूद 0 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार सिर्फ 6 सेकंड में पकड़ सकती है. यह तेज़ रफ्तार इसे खतरनाक स्थिति से जल्दी भागने में मदद करती है.
  • रन-फ्लैट टायर: कार के टायरों में खास तरह के सपोर्ट हैं, जो फटने या पूरी तरह खराब होने पर भी कार को 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलाने में सक्षम बनाते हैं. यानी अगर हमलावर टायरों को गोली मार दें, तब भी कार चलती रहेगी.
  • खुद को सील करने वाला फ्यूल टैंक: कार का फ्यूल टैंक एक खास पॉलिमर से बना है, जो गोली लगने या छेद होने पर भी रिसाव या विस्फोट को रोकता है. यह टैंक को और सुरक्षित बनाता है.

कैमिकल वेपन से सुरक्षा

  • एयर प्यूरीफायर सिस्टम: कार में एक खास एयर प्यूरीफायर सिस्टम लगा है, जो केबिन को पूरी तरह सील कर देता है और बाहर की जहरीले गैसों, रासायनिक पदार्थों, या जैविक खतरों (जैसे बैक्टीरिया या वायरस) को अंदर आने से रोकता है. यह सिस्टम साफ ऑक्सीजन देता है, ताकि अंदर बैठे लोग सुरक्षित रहें.
  • आग बुझाने की प्रणाली: कार में स्वचालित आग बुझाने की प्रणाली है, जो इंजन या कार के निचले हिस्से में लगने वाली आग को तुरंत पहचानकर बुझा देती है. इससे आग से होने वाले नुकसान को रोका जाता है.
  • इमरजेंसी एग्जिट: अगर दरवाज़े खराब हो जाएं या खोलना सुरक्षित न हो, तो कार की पीछे की खिड़की को आपातकालीन निकास के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
  • स्पेशल इंटरकॉम सिस्टम: कार में एक खास इंटरकॉम सिस्टम है, जो बिना दरवाज़े या खिड़की खोले बाहर के लोगों से बातचीत करने की सुविधा देता है. यह सिस्टम हाफ-डुप्लेक्स है, यानी एक समय में एक ही तरफ से बात हो सकती है, जो सुरक्षा को और बढ़ाता है.
  • सीसीटीवी इंटीग्रेशन: कार के अंदर स्क्रीन हैं, जो बाहर के लाइव वीडियो फुटेज दिखाती हैं. इससे अंदर बैठे लोग बाहर की स्थिति को देखकर समझ सकते हैं कि क्या हो रहा है.

और क्या विशेषताएं हैं इस गाड़ी की?

इस कार के बारे में कुछ चीज़ें आम लोगों को कभी नहीं बताई जातीं. वे गुप्त फीचर होते हैं, जो पुतिन जैसी बड़ी हस्तियों की सुरक्षा के लिए बनाए जाते हैं. माना जाता है कि उनकी औरस सेनट में खास टेक्नोलॉजी लगी है- जैसे बेहद सुरक्षित कम्युनिकेशन सिस्टम, अतिरिक्त सुरक्षा कवच और साइबर अटैक से बचाने वाला सिस्टम. इस कार को चलाने वाले भी साधारण ड्राइवर नहीं होते, बल्कि खास ट्रेनिंग पाए कमांडो होते हैं, जो खतरे के वक्त गाड़ी को तुरंत सुरक्षित रास्ते से निकाल सकते हैं.

कुछ दावे ऐसे भी आए हैं, जिसमें कहा गया है कि यह कार चीन ने पुतिन को दी है, लेकिन इस बात पर ज़्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता. भरोसा इसलिए नहीं किया जा सकता, क्योंकि Aurus रूस में ही बनी है और पुतिन अक्सर इसे अपने साथ विदेश यात्राओं पर ले जाते हैं. ज़्यादातर जानकार मानते हैं कि तियानजिन में भी यही कार रूस की टीम अपने काफ़िले के साथ लेकर आई थी.



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