अगर आप अमेरिका में नौकरी करने का ख्वाब देख रहे हैं और H-1B वीजा की लाइन में लगे हैं, तो सावधान हो जाएं. अब सिर्फ इंटरव्यू पास करना या कोडिंग आना काफी नहीं होगा, बल्कि आपकी ‘फेसबुक टाइमलाइन’ और ‘इंस्टाग्राम रील्स’ भी देखी जाएंगी. ट्रंप प्रशासन ने वीजा नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए H-1B और H-4 वीजा आवेदकों की ‘सोशल मीडिया स्क्रीनिंग’ अनिवार्य कर दी है.
अमेरिकी विदेश विभाग के नए आदेश के मुताबिक, सोमवार (15 दिसंबर) से यह नियम लागू हो रहा है. विभाग ने साफ शब्दों में कहा है कि H-1B (वर्किंग वीजा) और H-4 (आश्रित वीजा) के लिए आवेदन करने वालों को अपने सभी सोशल मीडिया प्रोफाइल्स की प्राइवेसी सेटिंग्स को बदलकर पब्लिक करना होगा. इसका मतलब है कि अगर आपने अपना अकाउंट लॉक कर रखा है या प्राइवेट है, तो वीजा मिलने में दिक्कत आ सकती है. अधिकारियों को आपकी ऑनलाइन गतिविधियों की पूरी जानकारी चाहिए ताकि आपकी जांच आसानी से हो सके.
छात्रों के बाद अब प्रोफेशनल्स की बारी
अमेरिका का तर्क: ‘वीजा हक नहीं, प्रिविलेज है’
इस सख्ती के पीछे ट्रंप प्रशासन का तर्क राष्ट्रीय सुरक्षा है. विदेश विभाग ने स्पष्ट किया है कि अमेरिकी वीजा पाना कोई अधिकार नहीं, बल्कि एक विशेषाधिकार है. विभाग का कहना है कि वे हर उपलब्ध जानकारी का इस्तेमाल करके यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अमेरिका में दाखिल होने वाला व्यक्ति देश की सुरक्षा के लिए खतरा न हो. हर वीजा आवेदन को अब राष्ट्रीय सुरक्षा के फैसले के तौर पर देखा जा रहा है.
ट्रंप की सख्त नीतियों की नई कड़ी
यह कदम ट्रंप प्रशासन द्वारा इमिग्रेशन पर कसी जा रही नकेल का ताजा उदाहरण है. प्रशासन ने हाल ही में नए H-1B वर्क वीजा पर 1,00,000 डॉलर (करीब 84 लाख रुपये) की एकमुश्त फीस लगाने का भी प्रस्ताव दिया था. एक अफगान नागरिक द्वारा नेशनल गार्ड के सैनिकों पर गोलीबारी की घटना के बाद, अमेरिका ने 19 चिंताजनक देशों से आने वाले प्रवासियों के ग्रीन कार्ड और नागरिकता आवेदनों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. भारतीय प्रोफेशनल्स, जो H-1B वीजा का सबसे बड़ा समूह हैं, उनके लिए यह खबर एक और चुनौती लेकर आई है. अब अमेरिका का टिकट कटाने के लिए ‘सोशल मीडिया’ का कैरेक्टर सर्टिफिकेट भी जरूरी हो गया है.


