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अलास्का के उट्कियाग्विक शहर में इस साल भी पोलर नाइट शुरू हो गई है. यहां सूरज अभी ढला है और अब लगातार 64 दिन तक नहीं उगेगा. पृथ्वी के झुकाव और आर्कटिक सर्कल से ऊपर स्थित होने के कारण हर साल ऐसा होता है. हालांकि शहर पूरी तरह अंधेरा नहीं होता, कुछ घंटे हल्की नीली सिविल ट्वाइलाइट मिलती रहती है. तापमान लगातार गिरता है और इसी दौरान पोलर वॉर्टेक्स और मजबूत होकर ठंडी हवाएं फैलाता है.
अब 68 दिन बाद सूरज के दर्शन होंगे. फर्ज कीजिए की आज सूरज ढले और इसके बाद अगले दिन सुबह आप उठें तो सूरज निकले ही नहीं। क्या ऐसा हो सकता है. सुनने में यह थोड़ा अजीब जरूर लगता है लेकिन यह सच है. पृथ्वी के नॉथ और साउथ पोल के पास बसे शहरों में ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है. अमेरिका के सबसे उत्तरी बसे अलास्का के शहर उट्कियाग्विक (Utqiagvik) में 2025 का सूरज अभी से ढल चुका है. यहां के लोगों को अब 64 दिन तक सूरज की एक भी किरण नहीं दिखेगी. यानी अगला सनराइज अब 22 जनवरी 2026 को होगा. पृथ्वी के झुकाव और आर्कटिक सर्कल से ऊपर स्थित होने की वजह से हर साल यहां ऐसा होता है. हालांकि शहर पूरी तरह अंधेरे में नहीं डूबता. हर दिन कुछ घंटे सिविल ट्वाइलाइट यानी हल्की नीली प्राकृतिक रोशनी मिलती रहती है, जो लोगों की दिनचर्या को थोड़ा आसान बनाती है.
करीब 4,400 की आबादी वाला उट्कियाग्विक फ़ेयरबैंक्स से लगभग 800 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है. यहां तापमान पहले से ही तेजी से गिरने लगता है क्योंकि लगातार सूरज न उगने की वजह से धरती को मिलने वाली गर्मी शून्य हो जाती है. लंबे अंधेरे के दौरान हवा और अधिक ठंडी और शुष्क होती जाती है. यही वह समय होता है जब पोलर वॉर्टेक्स मजबूत बनता है. पृथ्वी के स्ट्रैटोस्फियर में फैला बेहद ठंडा क्षेत्र है जो कभी-कभी अमेरिका के निचले राज्यों तक भी शीतलहर भेज देता है.

पोलर नाइट क्या होती है?
उट्कियाग्विक अभी जिस अवस्था में प्रवेश कर चुका है, उसे पोलर नाइट कहा जाता है. पोलर नाइट तब होती है जब किसी स्थान पर सूरज लगातार 24 घंटे तक भी नहीं दिखे. पृथ्वी का अक्ष 23.5 डिग्री झुका हुआ है. इसी झुकाव के कारण सर्दियों में आर्कटिक क्षेत्र सूरज की सीधी रोशनी से पूरी तरह दूर हो जाता है, जिसके चलते यहां महीनों तक रात बनी रहती है. पोलर नाइट उतनी काली नहीं होती जितना नाम से लगता है. दिन के कुछ हिस्से में आकाश में हल्की नीली रोशनी दिखाई देती है, जिसे सिविल ट्वाइलाइट कहा जाता है. इसी रोशनी के सहारे लोग बाहर निकलते, काम करते और सामान्य जीवन जीते हैं. इसके अलावा इस मौसम में नॉर्दर्न लाइट्स (औरोरा) भी खूब देखने को मिलती हैं, जो अंधेरे को रंगीन बना देती हैं.
डे एंड नाइट का उलटा चक्र
दिलचस्प बात यह है कि उट्कियाग्विक में गर्मियों में बिल्कुल उलटा दृश्य होता है. जहां सर्दियों में 64 दिन तक सूरज नहीं उगता, वहीं गर्मियों में लगभग तीन महीने तक सूरज डूबता ही नहीं. लगातार दिन के उजाले में यहां का जीवन पूरी तरह बदल जाता है. जैसे ही उट्कियाग्विक 64 दिनों की लंबी रात में डूबता है लोग नॉर्दर्न लाइट्स, कृत्रिम रोशनी और अपनी दिनचर्या के सहारे अगले सूर्योदय का इंतजार शुरू कर देते हैं. यह प्राकृतिक घटना बताती है कि पृथ्वी का झुकाव हमारी जिंदगी को किस तरह प्रभावित करता है.

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें



