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इस कार ने काटा है जापान में बवाल, दीवानी हो गई जनता, अंदर बैठ सकता है केवल एक आदमी


Single Seater Car: 1945 में जब हिरोशिमा पर परमाणु बम गिरा था, तब चारों तरफ तबाही का मंजर था. हिरोशिमा और जापानियों ने पीढ़ियों तक उस दर्द को झेला. तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि जापान इतनी जल्दी एक विकसित देश बनकर उभरेगा और दुनिया को अपनी टेक्नोलॉजी का कायल बना देगा. यह कहानी उस दर्दनाक हादसे या उससे जुड़ी चीजों के बारे में नहीं है. कहानी एक ऐसी कार की है, जो गांवों की तंग गलियों से सपरट गुरजती है. चूंकि इसकी शुरुआत हिरोशिमा के पास एक छोटे से गांव से हुई, इसलिए हमने शुरुआत हिरोशिमा के उस किस्से से की, जिसकी वजह से दुनियाभर में उसे जाना जाता है. लेकिन अब वक्त बदल रहा है. हिरोशिमा को उसकी एडवांस तकनीक और इनोवेशन के लिए भी जाना जाएगा.

हिरोशिमा के पास के एक छोटे से गांव में एक छोटी-सी कार कंपनी केजी मोटर्स (KG motors) ने एक अनोखी इलेक्ट्रिक कार बनाई है. इस कार का नाम है “मिबोट”. यह कार न सिर्फ दिखने में अलग है, बल्कि अन्य कारों से भी अलग है. मिबोट एकदम छोटी, सस्ती और एक ही व्यक्ति के लिए बनी है. इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह आम लोगों, खासकर गांवों में रहने वालों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रही है.

क्या खास है मिबोट में?

  • मिबोट इतनी छोटी है कि पहली नजर में यह किसी गोल्फ कार्ट जैसी लग सकती है, लेकिन यह पूरी तरह आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल है.
  • इसकी कीमत करीब 7 लाख रुपये है.
  • एक बार फुल चार्ज करने पर यह कार 100 किलोमीटर तक चल सकती है.
  • इसे पूरी तरह चार्ज करने में सिर्फ 5 घंटे लगते हैं.
  • इसकी टॉप स्पीड 60 किलोमीटर प्रति घंटा है.
  • यह कार गांवों की तंग गलियों और छोटी सड़कों के लिए बिल्कुल परफेक्ट है.

छोटे रास्ते, बड़ी सोच

ब्लूमबर्ग ने इस बारे में रिपोर्ट करते हुए केजी मोटर्स के संस्थापक काजुनारी कुसुनोकी के बारे में भी जानकारी छापी है. कुसुनोकी अब 43 साल के हैं. हिरोशिमा के पास के एक कस्बे में पले-बढ़े हैं. उन्होंने देखा कि गांवों में बसें और टैक्सियां कम होती जा रही हैं, और बुजुर्गों को आने-जाने में काफी दिक्कत होती है. इसी सोच से उन्होंने एक ऐसी गाड़ी बनाने के बारे में सोचा, जो छोटी, सस्ती और सिर्फ ज़रूरत भर की हो. ऐसे में जन्म हुआ मिबोट का.

2022 में उन्होंने केजी मोटर्स की शुरुआत की और अब तक कंपनी को 2,250 से ज्यादा ऑर्डर मिल चुके हैं. इनमें से ज्यादातर ग्राहक वे लोग हैं जिनके पास पहले से गाड़ियां हैं, लेकिन उन्हें एक आसान और सस्ती दूसरी गाड़ी चाहिए थी.

जापान में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की स्थिति

यही रिपोर्ट बताती है कि हालांकि जापान टेक्नोलॉजी में आगे है, लेकिन इलेक्ट्रिक गाड़ियों के मामले में वह बाकी दुनिया से थोड़ा पीछे है. 2023 में वहां सिर्फ 3.5% गाड़ियां ही इलेक्ट्रिक थीं, जबकि वैश्विक औसत 18% रहा. टोयोटा जैसी बड़ी कंपनियों ने भी अब तक इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर ज्यादा फोकस नहीं किया है. टोयोटा मानती है कि भविष्य में इलेक्ट्रिक के साथ-साथ हाइब्रिड और हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ियों का भी रोल होगा. शायद इसी सोच के चलते जापान के लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लेकर अभी तक पूरी तरह तैयार नहीं हुए हैं.

लेकिन कुसुनोकी जैसे इनोवेटर्स इस सोच को बदलना चाहते हैं. उनका मानना है कि जापान की तंग सड़कों के लिए बड़ी गाड़ियां सही नहीं हैं. मिबोट जैसे हल्के और कॉम्पैक्ट वाहन ही असली समाधान हैं.

‘केई कार्स’ की बढ़ती लोकप्रियता

जापान में हमेशा से ही छोटी गाड़ियों को पसंद किया जाता रहा है. इन्हें ‘केई कार्स’ कहा जाता है. ये हल्की, छोटी और कम खर्च वाली होती हैं. 2023 में जापान में जितनी भी इलेक्ट्रिक गाड़ियां बिकीं, उनमें से 55 फीसदी केई कार्स थीं. एक और मशहूर केई कार निसान साकुरा ने 2024 में 23,000 यूनिट्स बेचीं. अब BYD और ह्युंडई जैसी विदेशी कंपनियां भी जापान के लिए छोटे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स बना रही हैं.

मगर मिबोट इनमें अलग है- यह सिर्फ एक सीट वाली कार है, और खास तौर पर उन लोगों के लिए बनी है जिन्हें रोज़मर्रा के छोटे सफ़र करने होते हैं.

एक कार नहीं, एक आंदोलन

केजी मोटर्स का सपना है कि गांवों में हर व्यक्ति के पास अपनी खुद की गाड़ी हो, ताकि वे पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी से परेशान न हों. मिबोट में ज्यादा फीचर्स नहीं हैं. इसमें सिर्फ एक बैटरी, मोटर और जरूरी इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स लगे हुए हैं. यही इसकी सबसे बड़ी खूबी है.

कंपनी ने अपनी कार की टेस्टिंग वीडियो भी जारी की हैं, जिनमें बर्फीली सड़कों, तंग गलियों और सुरक्षा परीक्षणों को दिखाया गया है. कुसुनोकी खुद पहले यूट्यूबर थे, और अब उसी अनुभव का इस्तेमाल मिबोट की मार्केटिंग में कर रहे हैं.



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