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NASA X-59 Supersonic Jet: अब तक सुपरसोनिक फ्लाइट का मतलब जोरदार धमाके के साथ आवाज की सीमा को पार करना माना जाता था. लेकिन NASA का नया एक्सपेरिमेंटल जेट X-59 इस सोच को बदलने आ रहा है. 10 जुलाई 2025 को X-59 ने पहली बार खुद की ताकत से रनवे पर दौड़ लगाई. इस प्रक्रिया को ‘टैक्सी टेस्ट’ कहा जाता है, जो किसी भी फ्लाइट से पहले की सबसे अहम ग्राउंड टेस्टिंग होती है.

टैक्सी टेस्ट का मकसद विमान के हैंडलिंग, ग्राउंड कंट्रोल और सभी सिस्टम्स की जांच करना होता है. रनवे पर तय स्पीड पर दौड़ाकर यह देखा जाता है कि टेकऑफ और लैंडिंग के समय विमान कैसे बर्ताव करता है. NASA के टेस्ट पायलट निल्स लार्सन ने यह टेस्ट कैलिफोर्निया के पाल्मडेल स्थित एयरफोर्स प्लांट 42 में पूरा किया. अब अगले कुछ हफ्तों में हाई-स्पीड टैक्सी टेस्ट किया जाएगा, जो टेकऑफ की तैयारी का आखिरी चरण होगा.

X-59 ‘क्वेस्ट मिशन’ (Quesst Mission) का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य है: शोररहित सुपरसोनिक उड़ानों की तकनीक विकसित करना. पारंपरिक सुपरसोनिक जेट्स जब ध्वनि की गति (Mach 1) से तेज उड़ते हैं, तो उनकी रफ्तार से शॉक वेव्स मिलकर ‘सोनिक बूम’ पैदा करती हैं. एक धमाके जैसा तेज शोर, जो जमीन पर महसूस होता है.

X-59 की डिजाइन इसे खास बनाती है. इसका पतला और लंबा नोज, और अल्ट्रा-थिन विंग्स इन शॉक वेव्स को अलग-अलग दिशा में बिखेर देते हैं. नतीजा: सोनिक बूम की जगह बस 75 डेसिबल की हल्की आवाज, जिसे NASA ने कार का दरवाजा बंद करने जैसी बताया है.

Lockheed Martin द्वारा बनाया गया यह विमान 55,000 फीट की ऊंचाई पर Mach 1.4 (लगभग 1488 किलोमीटर प्रति घंटा) की रफ्तार से उड़ सकता है. यह न सिर्फ मौजूदा एयरक्राफ्ट्स से तेज है, बल्कि ज़मीन के ऊपर उड़ते समय भी शांत रहेगा. यही इसका सबसे बड़ा गेमचेंजर है.

आज भी सुपरसोनिक फ्लाइट्स को जमीन के ऊपर उड़ान भरने की अनुमति नहीं होती. सिर्फ समंदर के ऊपर ही वे तेज रफ्तार पकड़ती हैं, ताकि आबादी को शोर से परेशानी न हो. लेकिन अगर X-59 की तकनीक सफल रहती है, तो दुनिया के ऊपर से सीधा सुपरसोनिक सफर मुमकिन होगा.

NASA के X-59 की कामयाबी का मतलब ये होगा कि न्यूयॉर्क से लंदन की फ्लाइट अब 7 घंटे नहीं, सिर्फ 3-4 घंटे में पूरी हो सकती है. वो भी बिना किसी शोर के.



