True Story of That Flight: वह फ्लाइट दक्षिण कोरिया के सियोल से सैन फ्रांसिस्को शहर के लिए रवाना होने वाली थी. सियोल एयरपोर्ट पर फ्लाइट की बोर्डिंग बिल्कुल आखिरी दौर में थी. इसी बीच, एक युवती फ्लाइट में दाखिल हुई. इस युवती ने अपने एक हाथ से एक नवजात बच्चे को संभाल रखा था, जबकि दूसरे हाथ से एक बुजुर्ग महिला को सहारा दे रखा था. दोनों के चेहरे पर वही घबराहट नजर आ रही थी, जो पहली बार लंबी फ्लाइट में बच्चे को लेकर जाने वाले हर माता-पिता के चेहरे पर होती है.
कुछ ही मिनटों के अंतराल के भीतर बोर्डिग पूरी हो चुकी थी और पैसेंजर अपनी-अपनी सीटों पर सेटल हो चुके थे. अब सभी को इंतजार था कि फ्लाइट बोर्डिग गेट छोड़े और जल्द से जल्द टेकऑफ हो. ऐसा कुछ होता, इससे पहले वह युवती अपनी सीट से उठी, अपर केबिन से एक बैग निकाला, फिर हर सीट पर जाकर एक ट्रांसपैरेंट पैकेज पैसेंजर्स को पकड़ाने लगी. हर पैकेट में कुछ सामान था और उसके ऊपर एक स्विप चिपकी हुई थी, जिसमें चंद लाइनों की इबारत भी दर्ज थी.
किसी अचंभे से कम नहीं था वह तोहफा…
जिन पैसेंजर्स को पैकेट मिल चुका था, वह पैकेट को आश्चर्य से उलट-पलट कर देखते और फिर स्लिप में लिखी इबारत को पढ़ने लगते. देखते ही देखते, यह युवती फ्लाइट में मौजूद हर पैसेंजर की सीट पर गई और उसे यह पैकेट थमा दिया. इस पैकेट में लिखी इबारत पढ़ने के बाद शायद ही कोई हो, जिसके चेहरे पर प्यार और स्नेह से भरी स्माइल न हो. सभी में एक साथ महिला की तरफ देखा, शुक्रिया कहते हुए थम्सअप का इशारा किया और इशारों से कहा- इत्मिनान रखिए.
दरअसल, यह पैकेट एक मां अपने 4 माह के बच्चे की तरफ से बांट रही थी. पैकेट में 4 माह के इस बच्चे की तरफ से इबारत भी लिखी गई थी. जिसमें उसने कहा था कि…
हैलो, मेरा नाम जुनवू है और मैं चार महीने का हूं. आज मैं अपनी मौसी से मिलने के लिए अपनी मां और नानी के साथ अमेरिका जा रहा हूं. मैं थोड़ा नर्वस और डरा हुआ हूं, क्योंकि मेरे जीवन की यह पहली फ्लाइट है. जिसका मतलब है कि रो भी सकता हूं और खूब शो भी मचा सकता हूं. वैसे मेरी कोशिश होगी में शांति से जाऊं, बावजूद इसके मैं कोइ वादा नहीं कर सकता हूं. कृपया मुझे माफ कर दें. मेरी मां ने आपने के लिए एक छोटा सा गुडी ब तैयार किया है, जिसमें कुछ कैंडीज और इयरप्लग हैं. अगर मेरी वजह से बहुत अधिक शोर हो तो ये ईयरप्लग इस्तेमाल कर लें. आप अपनी यात्रा इंज्वाय करें. थैक्यू.
एक मां की हिचकिचाहट से जुड़ा है पूरा मसला
यह पूरा मसला एक मां की उस हिचकिचाहट से जुड़ा हुआ था, जो अपनी चार महीने के बच्चे के लिए सियोल से सैन फ्रांसिस्को जा रही थी. उसे डर था कि 10 घंटे लंबी इस जर्नी में ना जाने बच्चा रोना शुरू कर दे. उसे डर था कि उसके बच्चे को फ्लाइट के भीतर का बंद बंद सा माहौल परेशान कर सकता है. इसके अलावा, उसके कान बंद हुए या भूख लगी तो भी वह रोना शुरू कर देगा. ऐसे में उसके साथ सफर कर रहे पैसेंजर्स को लगातार दस घंटे तक उसके बच्चे की वजह से परेशान होना पड़ सकता है.
लेकिन मजेदार बात यह है कि पूरे रास्ते ऐसा कुछ हुआ नहीं. बच्चा कभी अपनी मां, तो कभी अपनी नानी की गोद में सोता रहा. जब कभी आंख खुलती तो बस चारों तरफ देखता, मुस्कुराता और फिर सो जाता. एक बार भी नहीं रोया. एक बार भी चिल्लाया नहीं. ऐसा लग रहा था जैसे उसने अपनी मां की सारी मेहनत और चिंता को समझ लिया हो. देखते ही देखते सफर पूरा हो गया. लैंडिंग से पहले केबिन की लाइट्स जलीं. मां ने फिर उठ कर सबको थैंक यू कहा. सबने ताली बाजकर एक बार फिर अपनी शुभकामनाएं दीं.
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह घटना 2019 के फरवरी महीने के है. लेकिन छह साल बाद भी जब इस घटना का जिक्र होता है, हर किसी के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान खिल जाती है.



