You are currently viewing बोरिंग है, मगर करोड़पति बना सकता है ये काम, 40 लाख प्रति महीना SIP करने वाले शख्स ने खोला राज

बोरिंग है, मगर करोड़पति बना सकता है ये काम, 40 लाख प्रति महीना SIP करने वाले शख्स ने खोला राज


निवेश की दुनिया में गलतियां हर किसी से होती हैं, लेकिन उनसे सीखकर ही असली वेल्थ बनती है. 15 साल में 60 करोड़ का पोर्टफोलियो बनाने वाले निवेशक गजेंद्र कोठारी इसका जीता-जागता उदाहरण हैं. 2008 में FNO ट्रेडिंग में 50 लाख गंवाने से लेकर म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में मिससेलिंग देखने तक, उनकी गलतियां और सीख आम निवेशकों के लिए रास्ता दिखाती हैं. आइए, उनकी कहानी से समझें कि निवेश में क्या गलतियां होती हैं, और कैसे “बोरिंग काम” आपको करोड़पति बना सकता है.

2004 में गजेंद्र कोठारी ने UTI म्यूचुअल फंड में नौकरी शुरू की. तब उनकी सैलरी 30,000 रुपये थी, और म्यूचुअल फंड्स के बारे में उन्हें बिलकुल भी जानकारी नहीं थी. वे ELSS में सिर्फ टैक्स बचाने के लिए निवेश करते थे, लेकिन कंपाउंडिंग की शक्ति से अनजान थे. फिर वे लंदन मूव कर गए और उनकी आय बढ़ गई, लेकिन लालच ने गलती करवाई. 2008 के ग्लोबल क्रैश में उन्होंने फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में डे-ट्रेडिंग और लीवरेजिंग करते हुए 50 लाख रुपये गंवा दिए, जोकि उनकी दो साल की बचत थी. कोठारी खुद बताते हैं, “मैंने सोचा क्रैश अस्थायी है, बाजार वापस आएगा. लेकिन नुकसान बढ़ता गया,” वे कहते हैं. यह गलती उन्हें महंगी पड़ी. आम निवेशक, जो कभी-कभी ट्रेडिंग भी करते हैं, अक्सर ऐसी गलतियां करते हैं.

आसान सलाह सबसे अच्छी!

अपनी शुरुआती जॉब के दौरान गजेंद्र कोठारी ने म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में मिससेलिंग देखी. मिससेलिंग मतलब कुछ का कुछ बताकर पॉलिसी बेच देना. 2004-2008 में नए फंड ऑफर (NFO) पर 6 प्रतिशत खर्च और 2.25 प्रतिशत डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन आम था. लोग स्टॉक IPO और म्यूचुअल फंड IPO में कन्फ्यूज हो जाते थे. गजेंद्र कोठारी ने हाई नेटवर्थ क्लाइंट्स को देखा, जिनके पास करोड़ों के पुराने निवेश थे, लेकिन उन्हें इसका अंदाजा नहीं था. वे कहते हैं, “मैंने सीखा कि लोगों को आसान सलाह चाहिए.” 2009 में SEBI ने एंट्री लोड बैन किया, तो इंडस्ट्री को “खत्म” मान लिया गया. लेकिन यही वह समय था जब गजेंद्र कोठारी ने इटिका वेल्थ (Etica Wealth) शुरू की, ताकि निवेशकों को सही सलाह दे सकें.

शेयर बाजार क्रैश और धैर्य

2010 में गजेंद्र कोठारी ने 10,000 रुपये की SIP शुरू की. 2020 में जब COVID क्रैश आया, तब 10 साल हो चुके थे, लेकिन रिटर्न सिर्फ 7 प्रतिशत था. 10 सालों में आमतौर पर निवेश अच्छा खासा बढ़ चुका है, लेकिन 7 प्रतिशत देखना “दर्द देता था.” कोठारी कहते हैं कि उन्होंने SIP नहीं रोकी. 15 साल में 18 लाख का निवेश बढ़कर 86 लाख बन चुका था. 2008 क्रैश ने सिखाया कि बाजार साइक्लिकल हैं. वे कहते हैं कि अस्थिरता रिटर्न देती है. डरकर रुक गए, तो हार गए.

“बोरिंग काम” की जीत

गजेंद्र कोठारी की सबसे बड़ी सीख है ऑटोमेशन. उनकी SIP 10,000 रुपये से शुरू होकर 41 लाख रुपये तक पहुंची, क्योंकि उन्होंने इसे ऑटोमेट किया. वे कहते हैं, “बाजार 80,000 हो या 85,000, मैंने दिमाग नहीं लगाया. मैनुअल करते तो मिस कर देता.” उनकी 90 फीसदी वेल्थ SIP से आई, क्योंकि वे “स्लीपी इन्वेस्टर” हैं. वे FD, PPF, क्रिप्टो, या डायरेक्ट स्टॉक्स नहीं करते. उनका सीधा सा फंडा है, खुद बोरिंग काम करो और कंपाउंडिंग को काम करने दो.



Source link

Leave a Reply