वॉशिंगटन: अमेरिका में H-1B वीजा को लेकर बवाल मचा हुआ है. कभी ट्रंप प्रवासियों को खदेड़ने पर उतारू हो जाते हैं तो कभी उन्हें ये बोलकर लौटने का न्योता देते हैं कि अमेरिका में टैलेंट है ही नहीं. वहीं, इस कंफ्यूजन के बीच H-1B वीजा को लेकर चौंकाने वाली वाली खबर आ रही है. दावा किया जा अब H-1B वीजा पूरी तरह रद्द करने की प्लानिंग चल रही है. ये फैसला भारतीय कर्मचारियों के लिए चिंता की वजह बन सकता है, जो अमेरिका के इस प्रोग्राम के सबसे बड़े लाभार्थी हैं.
ग्रीन ने क्या कहा?
ग्रीन ने अमेरिका में टेक जायंट्, AI कंपनियों और अस्पतालों पर H-1B प्रणाली का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. उन्होंनें दावा किया है कि इससे घरेली कर्मचारियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. उन्होंने लिखा, ‘बिग टेक, AI दिग्गज, अस्पताल, और सभी बड़े उद्योग हमारे अपने लोगों को दरकिनार करने के लिए H-1B प्रणाली का दुरुपयोग कर रहे हैं’. ग्रीन ने कहा कि वो चाहती हैं कि हर क्षेत्र में अमेरिकियों को प्राथमिकता दी जाए, इसलिए उनका प्रस्तावित कानून इस कार्यक्रम को पूरी तरह से समाप्त करना चाहता है.
उन्होंने H-1B वीजा खत्म करने वाली योजना की घोषणा करते हुए कहा कि ‘मेरा विधेयक भ्रष्ट H-1B कार्यक्रम को समाप्त करता है और फिर से अमेरिकियों को प्राथमिकता देता है, ये अगली पीढ़ी के लिए अमेरिकन ड्रीम की रक्षा करने के लिए जरूरी कदम है’.
विधेयक में एक मात्र अपवाद
डॉक्टरों और नर्सों जैसे चिकित्सा पेशेवरों के लिए सालाना 10,000 वीजा जारी करना बंद नहीं होगा. ग्रीन ने कहा कि अमेरिकी चिकित्सकों की ‘घरेलू पाइपलाइन’ विकसित करने के लिए समय देने हेतु इसे भी दस वर्षों में चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जाएगा.
बता दें कि वर्तमान में 70% से अधिक H-1B वीजा भारतीय नागरिकों को मिलते हैं, जो अमेरिका के टेक और इंजीनियरिंग वर्कफोर्स की रीढ़ हैं. यह प्रस्तावित कानून संयुक्त राज्य अमेरिका में दीर्घकालिक रोजगार और निवास की तलाश कर रहे हजारों भारतीय पेशेवरों के लिए संभावित झटका माना जा रहा है.
क्या होगा इस अमेरिका का अंजाम
ग्रीन का विधेयक, यदि पेश किया जाता है, तो कांग्रेस में आव्रजन और कुशल श्रम मार्गों पर एक तीखी बहस को बढ़ावा देगा. H-1B कार्यक्रम का भविष्य, जो अमेरिकी रोजगार और ग्रीन कार्ड का एक प्रमुख मार्ग है, आने वाले महीनों में एक विवादास्पद राजनीतिक युद्ध का मैदान बना रहने की संभावना है.



