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आज हम आपको ऐसे व्यवसाय के बारे में बताएंगे जिसे बहुत ही कम लागत में शुरू किया जा सकता है और इससे बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता हैं. हम बात कर रहे हैं हरित व्यवसाय की. हरित व्यवसाय यानी की एक ऐसा व्यवसाय जिससे कि पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचे.

मशरूम उत्पादन में बेहद कम लागत लगती है और इसे हम हजार रुपए से भी शुरू कर सकते हैं. एक मशरूम बैग की कीमत 90 रुपए होती है और इससे 2 किलो तक मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं. बाजार में मशरूम की कीमत लगभग डेढ़ सौ से 200 रुपए प्रति किलो होती है. इस तरह 90 रुपए के एक बैग से हम 300-400 रुपये तक कमाई कर सकते हैं.

दूसरा व्यवसाय वर्मी कंपोस्ट का है इन दिनों सरकार भी जैविक खेती को लेकर बढ़ावा दे रही है और खेतों में जैविक खाद का उपयोग करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. जैविक खाद से अनाज का उपाय बढ़ जाता है और इससे स्वास्थ्य और पर पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं है. इसका उत्पादन हम अपने घरों में भी कर सकते हैं. यह जानवरों के गोबर या घर से निकलने वाले सब्जी के छिलके से कर सकते हैं. बड़े पैमाने पर इसका व्यवसाय करने के लिए इसमें गोबर की जरूरत होती है जिसमें केंचुआ डाला जाता है और 1-2 महीने में जैविक खाद तैयार हो जाती है बाजारों में इसकी कीमत 6-8 रुपए प्रति किलो है.

तीसरा व्यवसाय नर्सरी का है यह ऐसा व्यवसाय है जिससे पर्यावरण को लाभ ही लाभ है. अगर कोई नर्सरी का बिजनेस करना चाह रहा है तो उसमें उन्हें दोगुना से भी अधिक फायदा हो सकता है नर्सरी में एक पौधा लगाने पर ₹5 तक खर्च आता है और इसे हम ₹10 से लेकर ₹20 तक बेच सकते हैं. गया जिले में ऐसे दर्जनों किसान हैं जो नर्सरी के व्यवसाय से जुड़कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं.
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चौथा व्यवसाय मधुमक्खी पालन का है जिसमें किसान बेहद कम खर्च में शहद उत्पादन कर अच्छी आमदनी कर सकते हैं. एक बॉक्स की कीमत लगभग ₹4000 है जिसमें सरकार 75% तक सब्सिडी देती है. यानी एक बॉक्स की कीमत लगभग ₹1000 पड़ती है. एक बॉक्स से एक सीजन में 15 किलो तक शहद का उत्पादन कर सकते हैं और बाजार में शहद की बिक्री ₹200 से ₹300 प्रति किलो होती है. इस तरह एक बॉक्स से ₹1000 की लागत में लगभग 4000 की आमदनी कर सकते हैं.

पांचवा व्यवसाय गोबर गैस प्लांट का है. इस व्यवसाय में सिर्फ गोबर की आवश्यकता होती है. प्लांट बनाने में लगभग 40 से 50 हजार रुपये खर्च आता है और इसके निर्माण के लिए भी सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है. बड़े स्तर पर प्लांट का निर्माण में ज्यादा लागत आती है और इससे हर दिन 4 से 5 सिलेंडर बायोगैस का उत्पादन कर सकते हैं और बाजारों में बेचकर अच्छी आमदनी कर सकते हैं.


