नई दिल्ली. क्रिकेट में कोई बैटर शतक या अर्धशतक बनाए और इसमें एक भी चौका या छक्का न हो, आमतौर पर देखने में नहीं आता. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में तो कुछ मौके ऐसे आए हैं जब बैटर ने शतक बनाया लेकिन इसमें एक भी चौका/छक्का नहीं था. शतकीय पारी के दौरान इन बैटर ने अपने सभी रन, दौड़कर बनाए. इंटरनेशनल क्रिकेट मैचों में ऐसा कभी नहीं हुआ कि कभी किसी बैटर ने बिना कोई बाउंड्री लगाए शतक बनाया हो लेकिन अर्धशतक बनाने के दौरान ऐसा हो चुका है. क्रिकेट के सबसे पुराने फॉर्मेट टेस्ट की बात करें तो अब तक 6 बैटर बिना बाउंड्री लगाए अर्धशतक जड़ चुके हैं, इसमें दो भारत के हैं.
ओपनर की हैसियत से भारत के लिए खेले फारुख इंजीनियर और चेतन चौहान टेस्ट में बिना चौका-छक्का लगाए अर्धशतक बना चुके हैं इसमें से फारुख को तो आक्रामक बैटिंग के लिए जाना जाता था. फारुख ने अगस्त 1971 में इंग्लैंड के खिलाफ ओवल और चौहान ने दिसंबर 1978 में वेस्टइंडीज के खिलाफ बॉम्बे (नया नाम मुंबई) में जो अर्धशतकीय पारी खेली थी उसमें एक भी बाउंड्री नहीं थी.
नजर डालते हैं बिना बाउंड्री लगाए अर्धशतक बनाने वाले बैटर की पारियों पर
टेस्ट में पहली बार राबर्ट पील ने बनाई थी बिना बाउंड्री के फिफ्टी
रॉबर्ट बॉबी पील (Robert Peel) मूलत: स्पिनर थे जो निचले क्रम पर अच्छी बैटिंग भी कर लेते थे. टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले, बिना बाउंड्री के अर्धशतक उनके ही नाम पर हैं. 1893-94 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न टेस्ट में उन्होंने 168 मिनिट तक विकेट पर रुककर बिना कोई बाउंड्री के 53 रन बनाए थे. 20 टेस्ट में 16.98 के औसत से 101 विकेट लेने वाले पील के नाम टेस्ट में तीन अर्धशतक भी दर्ज हैं.
बार्डस्ले ने 56 रनों की पारी में नहीं था एक भी चौका
टेस्ट क्रिकेट में बिना बाउंड्री के अर्धशतक लगाने वाले बैटर में ऑस्ट्रेलिया के वारेन बार्डस्ले (Warren Bardsley) भी शामिल है. 1909 से 1926 के बीच 41 टेस्ट खेलने वाले बाएं हाथ के बैटर बार्डस्ले ने 6 शतक की मदद से 2469 रन बनाए. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 1912 के नॉटिंघम टेस्ट में उन्होंने 56 रन बनाए थे जिसमें कोई बाउंड्री नहीं थी. इस मैच में बार्डस्ले ने कितने मिनट बैटिंग की थी औरि कितनी गेंदों का सामना किया, इसका विवरण उपलब्ध नहीं है.
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विलफुल ने बनाए थे बिना बाउंड्री लगाए 58 रन
ऑस्ट्रेलिया के बिल वुडफुल (1926-1934) ने जनवरी 1931 में वेस्टइंडीज के खिलाफ सिडनी टेस्ट की पहली पारी में 139 मिनट तक विकेट पर रुककर 58 रन बनाए थे जिसमें एक भी बाउंड्री नहीं थी. मैच में वुडफुल ऑस्ट्रेलिया के कप्तान भी थे, टीम ने पारी के अंतर से इसमें जीत हासिल की थी. ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी के 369 रनों के जवाब में वेस्टइंडीज की टीम 107 और 90 रनों पर ही सिमट गई थी.ऑस्ट्रेलिया के लिए 1926 से 1934 के बीच 35 टेस्ट खेले विलफुल ने 46.00 के औसत से 2300 रन बनाए जिसमें 7 शतक थे.
208 मिनट विकेट पर रुककर रोवैन ने बनाए थे 67 रन
दक्षिण अफ्रीका के एरिक रोवैन (Eric Rowan) ने जनवरी 1939 में इंग्लैंड के खिलाफ डरबन टेस्ट की दूसरी पारी के दौरान 208 मिनट तक विकेट पर रुककर 67 रन बनाए थे जिसमें न कोई चौका था और न छक्का. 1935 से 1951 तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेले रोवैन ने 26 टेस्ट में 43.66 के औसत से 1965 रन बनाए जिसमें तीन शतक (सर्वोच्च स्कोर 236) शामिल रहे. टेस्ट में हार बचाने के इरादे से उन्होंने यह लंबी पारी खेली थी, हालांकि उनकी यह कोशिश नाकाम रही थी. इंग्लैंड ने यह टेस्ट पारी के अंतर से जीता था.
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इंजीनियर के 59 रनों की पारी में नहीं थी कोई बाउंड्री

1971 में ओवल में हुए टेस्ट में भारत ने मेजबान इंग्लैंड को 4 विकेट से शिकस्त दी थी. इस मैच में भारतीय टीम की जीत के साथ-साथ विकेटकीपर बैटर फारुख इंजीनियर (1961-1975) की बिना बाउंड्री वाली अर्धशतकीय पारी ने भी चर्चा बटोरी थी. इंग्लैंड की पहली पारी के 355 रनों का जवाब भारत ने पहली पारी में 284 रन बनाकर दिया था. मैच में मिडिल ऑर्डर में बैटिंग के लिए आए इंजीनियर (Farokh Engineer) ने 111 गेंदों पर 59 रन बनाए थे जिसमें एक भी बाउंड्री नहीं थी. रिस्ट स्पिनर भगवत चंद्रशेखर की घातक बॉलिंग (6/38) की बदौलत भारतीय टीम ने इंग्लैंड की दूसरी पारी को 101 रन पर ही समेट दिया था और फिर जीत के लिए जरूरी 173 रन 6 विकेट खोकर बना लिए थे. इंजीनियर ने दूसरी पारी में भी नाबाद 28 रनों का योगदान दिया था जिसमें 3 चौके थे. 46 टेस्ट में 31 के आसपास के औसत से 2611 रन (दो शतक) और 5 वनडे में 38.00 के औसत से 114 रन इंजीनियर के नाम दर्ज हैं.
चेतन चौहान की 52 रन की पारी में नहीं था कोई चौका/छक्का
भारत के चेतन चौहान (Chetan Chauhan) 40 टेस्ट में 6 बार 80 रन से अधिक स्कोर बनाने के बावजूद कभी शतक नहीं बना सके. दो बार तो वे नर्वस नाइंटीज के शिकार बने. टेस्ट क्रिकेट में सुनील गावस्कर के आदर्श ओपनिंग पार्टनर साबित हुए चौहान ने 40 मैचों में 31.57 के औसत से 2084 रन बनाए, इस दौरान उन्होंने 16 अर्धशतक लगाए. वेस्टइंडीज के खिलाफ वानखेड़े मैदान पर 1978 में खेले गए टेस्ट में चेतन ने पहली पारी में 219 मिनट तक विकेट पर रुककर 167 गेंदों पर 52 रन की पारी खेली थी जिसमें कोई चौका-छक्का नहीं था. इस मैच में कप्तान गावस्कर ने दोहरा शतक (205 रन) जमाया था.
Tags: Indian cricket, Test cricket
FIRST PUBLISHED : September 10, 2024, 15:30 IST



