बरेली: इलेक्ट्रिक वाहनों का क्रेज अब बाजार में धीरे-धीरे कम होता जा रहा है, जिसका मुख्य कारण इन वाहनों की विश्वसनीयता में कमी है. लगातार सामने आ रही आग लगने और बैटरी फटने जैसी घटनाओं ने इलेक्ट्रिक वाहनों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक तरफ सरकारें इन वाहनों को बढ़ावा देने की बात करती हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा और गुणवत्ता पर उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा. ई-रिक्शा जैसी सस्ती और अधिक चलन में आने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों के साथ भी मानक सुरक्षा उपायों का पालन न होने के कारण जोखिम बना रहता है, और इनके पलटने का खतरा भी ज्यादा होता है.
हाल में घटी कुछ घटनाओं के बाद इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माताओं पर सख्त कार्रवाई की जा रही है. अब यदि कंपनियां निर्धारित मानकों का पालन नहीं करती हैं, तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा.
एक लाख रुपये का जुर्माना
बरेली के निकटिया रोड पर परिवहन अधिकारी रमेश प्रजापति की टीम द्वारा जांच के दौरान एक 40 किमी प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से आ रही ई-स्कूटी पकड़ी गई. जांच में पाया गया कि निर्माता ने मानकों का उल्लंघन किया था, जिसके चलते परिवहन विभाग ने कंपनी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
क्या है नियम?
बता दें कि भारत में किसी भी दोपहिया वाहन को चलाने की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है. लेकिन इलेक्ट्रिक बाइक को लेकर नियम थोड़े अलग हैं. 16 से 18 साल के बीच लोग भी इसे चला सकते हैं. शर्त ये है कि बाइक की रफ्तार 25 किमी/घंटा से ज्यादा न हो. साथ ही वो 250W से कम बिजली वाले इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन हो. मानकों का उल्लंघन करने पर, यदि किसी व्यक्ति को ऐसी स्कूटी चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे भी भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है.
परमिट समाप्त होने पर 42,550 रुपये का चालान
डीडीपुरम में एक अन्य मामले में, एक ड्राइविंग ट्रेनिंग देने वाले वाहन की चेकिंग के दौरान पाया गया कि उसका फिटनेस प्रमाणपत्र, बीमा, और परमिट समाप्त हो चुका था. इसके बावजूद “कृष्णा ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल” नामक संस्था द्वारा लोगों को ड्राइविंग की ट्रेनिंग दी जा रही थी. नियमों के उल्लंघन के चलते गाड़ी को सीज कर 42,550 रुपये का चालान किया गया.
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FIRST PUBLISHED : October 25, 2024, 15:22 IST



