Last Updated:
भादू ने 1990 में स्पोर्ट्स कोटे में सीआरपीएफ में बतौर सिपाही नियुक्ति पाई थी. 2008 में सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर के पद पर प्रमोशन मिला. 2012 में अपनी स्वेच्छा सेवानिवृत्ति लेकर अपने घर लौटे और तब से भादू लगाता…और पढ़ें
लालगढ़ जाटान का बास्केटबॉल ग्राउंड.
हाइलाइट्स
- भानीराम भादू 12 साल से बच्चों को निशुल्क बास्केटबॉल ट्रेनिंग दे रहे हैं.
- भादू के 2 खिलाड़ी इंटरनेशनल और 10 नेशनल स्तर पर खेल चुके हैं.
- भादू खुद बास्केटबॉल नेशनल प्रतियोगिता में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
श्रीगंगानगर:- सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत गांव लालगढ़ जाटान के भानीराम भादू ने सिर्फ इसलिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली कि उनकी ही तरह उनके गांव के अन्य युवाओं को भी आगे बढ़ने का अवसर मिले. नौकरी छोड़ भादू पिछले 12 साल से गांव के बच्चों को वास्केटबॉल की निशुल्क ट्रेनिंग दे रहे हैं.
भादू ने 1990 में स्पोर्ट्स कोटे में सीआरपीएफ में बतौर सिपाही नियुक्ति पाई थी. 2008 में सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर के पद पर प्रमोशन मिला. 2012 में अपनी स्वेच्छा सेवानिवृत्ति लेकर अपने घर लौटे और तब से भादू लगातार गांव के बच्चों व युवाओं को निशुल्क ट्रेनिंग दे रहे हैं. लालगढ़ वास्केटबॉल ग्राउंड में रोजाना सुबह-शाम 80 से अधिक बच्चों को निशुल्क अभ्यास कराने वाले भादू खिलाड़ियों का सारा खर्च भी खुद ही वहन करते हैं. यही नहीं, हर साल गांव के बास्केटुन्नाल मैदान में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता करवाई जाती है, उसका पूरा खर्च वे खुद चुकाते हैं.
इनके खिलाड़ी राज्यस्तर तक बना चुके हैं पहचान
श्रीगंगानगर टीम को अन्यत्र खेलने के लिए भी भादू कभी भी खिलाड़ियों से किराया तक नहीं लेते, खुद अपने वाहन से खिलाड़ियों को लेकर जाते हैं. भादू की ओर से तैयार की गई टीम के 2 खिलाड़ी इंटरनेशनल, 10 नेशनल व दर्जनों खिलाड़ी राज्यस्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं. इनमें से कुछ खिलाड़ी खेल कोटे से सरकारी सेवा में चयनित भी हो चुके हैं.
सरकारी सेवा में भी जा चुके हैं खिलाड़ी
भानीराम भादू द्वारा तैयार की गई टीम में से मनोज भारतीय रेलवे में, प्रवीण दौवन आयकर विभाग, जितेंद्र भादू सीआरपीएफ नई दिल्ली, सुभाष सुथार सीआरपीएफ गुजरात सहित अन्य अनेक खिलाड़ी सरकारी सेवा में जा चुके हैं. भादू खुद बास्केटबाल नेशनल प्रतियोगिता में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. बकौल भानीराम भादू, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का उद्देश्य ही यही था कि वे गांव के जरूरतमंद बच्चों को खेलों में आगे ले जाना था. वे चाहते हैं कि उनकी ही भांति अन्य को भी अवसर मिले.



