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एक नहीं, सात गोल्ड… खेलो इंडिया वुशू में मचाया धमाल, ओलंपिक की राह पर है सतना की फाइटर गर्ल!


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Khelo India: सतना की अस्मि ने गांधीनगर में आयोजित खेलो इंडिया वूशू प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीतकर मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया. उनके कोच और पिता डॉ. संदीप भारती ने इसे अस्मि की मेहनत का नतीजा बताया. अस्मि का …और पढ़ें

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विंध्य की बिटिया का कमाल ,20 मेडल्स के साथ ओलंपिक का सपना!

हाइलाइट्स

  • सतना की अस्मि ने खेलो इंडिया वुशू में सिल्वर मेडल जीता.
  • अस्मि ने अब तक 20 मेडल जीते, जिनमें 7 गोल्ड शामिल हैं.
  • अस्मि का सपना ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना है.

सतना. गुजरात के गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय सुरक्षा विश्वविद्यालय में 2 से 7 अप्रैल तक भारतीय खेल प्राधिकरण और भारतीय वूशू संघ के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय जूनियर खेलो इंडिया वूशू प्रतियोगिता का आयोजन हुआ. इस प्रतियोगिता में मध्यप्रदेश की ओर से 8 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. इनमें सतना की अस्मि ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सांडा (फाइट) इवेंट में सिल्वर मेडल जीता. यह मध्यप्रदेश को मिला इस प्रतियोगिता का एकमात्र सिल्वर मेडल था.

डॉ. संदीप भारती. कोच भी, पिता भी
अस्मि के कोच और पिता डॉ. संदीप भारती ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि उन्हें अपनी बेटी पर बेहद गर्व है. अस्मि की यह सफलता उसकी कठिन मेहनत और नियमित ट्रेनिंग का नतीजा है. उन्होंने बताया कि अस्मि अब तक विभिन्न मार्शल आर्ट प्रतियोगिताओं में कुल 20 मेडल जीत चुकी हैं, जिनमें 7 गोल्ड शामिल हैं. वर्ष 2024 में एसजीएफआई ताईक्वांडो नेशनल में उन्होंने मध्यप्रदेश के लिए गोल्ड मेडल जीता था और ऐसा करने वाली वह विंध्य क्षेत्र की पहली खिलाड़ी बनीं. इसके अलावा कोयम्बटूर में आयोजित 25वीं वूशू नेशनल फेडरेशन चैंपियनशिप में भी उन्होंने गोल्ड मेडल जीता.

कराटे से शुरुआत अब ताईक्वांडो पर फोकस
लोकल 18 से खास बातचीत में अस्मि ने बताया कि वह फिलहाल कक्षा 11वीं की छात्रा हैं और पिछले 6 वर्षों से मार्शल आर्ट्स में सक्रिय हैं. उन्होंने कराटे से शुरुआत की थी लेकिन अब उनका मुख्य फोकस ताईक्वांडो पर है. वूशू को वह एक साइड गेम के तौर पर करती हैं.

ओलंपिक खेलने का सपना
अस्मि का कहना है कि उन्होंने 9 साल की उम्र से मार्शल आर्ट्स की शुरुआत की और तब से लगातार बाहरी प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रही हैं. उन्हें अपने परिवार, विशेषकर अपने पिता से प्रेरणा और समर्थन मिलता है. उनका सपना है कि वे एक दिन भारत का प्रतिनिधित्व ओलंपिक में करें. यह सपना उनके पिता का भी है.

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