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Nirjala fasting benefits, Phalahar fasting rules, Partial fasting in Hinduism। निर्जला, फलाहार और आंशिक उपवास में क्या है अंतर


Difference Between Nirjala, Phalahar and Partial Fasting : भारत में उपवास न सिर्फ धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह एक मानसिक और शारीरिक अनुशासन का रूप भी है. यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है, और समय के साथ इसके तरीके भी विकसित हुए हैं. आज के समय में लोग अलग-अलग कारणों से उपवास रखते हैं – कोई अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए, तो कोई अपने शरीर को विश्राम देने के लिए. उपवास के कई प्रकार होते हैं, लेकिन सबसे अधिक माने जाने वाले तीन रूप हैं – निर्जला, फलाहार और आंशिक उपवास. तीनों में भोजन और पानी के सेवन के अलग-अलग नियम होते हैं, जो व्यक्ति की श्रद्धा, सहनशक्ति और उद्देश्य पर निर्भर करते हैं.

1. निर्जला उपवास
इस उपवास में व्यक्ति पूरे दिन और रात कुछ भी नहीं खाता और एक बूंद पानी तक नहीं पीता. यह उपवास शरीर और मन दोनों के लिए सबसे कठिन माना जाता है. गर्मी के मौसम में इसे निभाना और भी चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि तब शरीर को अधिक पानी की ज़रूरत होती है.

इस उपवास का उद्देश्य केवल आत्म-संयम नहीं है, बल्कि यह ईश्वर के प्रति पूरी तरह समर्पण का प्रतीक भी है. कई लोग इसे भगवान शिव या विष्णु को प्रसन्न करने के लिए रखते हैं. विशेषकर निर्जला एकादशी के दिन इसे करना शुभ माना जाता है. इसे निभाने के लिए शारीरिक क्षमता के साथ-साथ मानसिक दृढ़ता भी ज़रूरी होती है.

2. फलाहार उपवास
यह उपवास अपेक्षाकृत आसान होता है. इसमें व्यक्ति दिन भर फल, सूखे मेवे, दूध, चाय, कॉफी या जूस का सेवन कर सकता है. हालांकि, नमक का प्रयोग नहीं किया जाता. कुछ लोग सेंधा नमक का उपयोग करते हैं, लेकिन सामान्य नमक से परहेज किया जाता है.

फलाहार उपवास में शरीर को थोड़ी ऊर्जा मिलती रहती है, इसलिए यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो अधिक समय तक भूखे नहीं रह सकते लेकिन उपवास की भावना को बनाए रखना चाहते हैं. इसे सोमवार, गुरुवार या एकादशी जैसे व्रतों में प्रायः अपनाया जाता है.

इस प्रकार का उपवास न केवल धार्मिक आस्था का हिस्सा है, बल्कि कई लोग इसे शरीर को हल्का और सक्रिय बनाए रखने के लिए भी अपनाते हैं.

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3. आंशिक उपवास
इसमें व्यक्ति दिन में केवल एक बार भोजन करता है. भोजन में प्याज, लहसुन, मांस या अन्य भारी चीजें नहीं होतीं. कुछ लोग फल, दूध या हल्का खाना जैसे साबूदाना, समा के चावल आदि लेते हैं. इस उपवास का पालन व्यक्ति अपने समय और सुविधा के अनुसार करता है.

आंशिक उपवास का मुख्य उद्देश्य शरीर को पूरा भूखा न रखकर भी मन और इंद्रियों को नियंत्रण में रखना होता है. यह उपवास धार्मिक दिनों जैसे एकादशी, प्रदोष या नवरात्रि में अधिक प्रचलित है. कई बार यह नियम लंबे समय तक चलता है, जैसे किसी विशेष साधना के दौरान.



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