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डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति और ब्रिक्स देशों की प्रतिक्रिया.


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Donald Trump Tariff on India: डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में जिस तरह का बवाल चल रहा है, वो सभी देख रहे हैं. डोनाल्ड ट्रंप न सिर्फ व्यापार बल्कि रणनीतिक मोर्चे पर भी अलग ही नीतियां अपना रहे हैं.

भारत-रूस का नाम लेकर ब्रिक्स में फूड डाल रहे ट्रंप, अपनाई गोरों वाली नीतिब्रिक्स देशों में फूट डालना चाहते हैं ट्रंप.

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद के दूसरे कार्यकाल में उनकी अमेरिका फर्स्ट नीति ने वैश्विक कूटनीति में नया मोड़ ला दिया है. वो एक तरफ नए-नए गठबंधन बना रहे हैं, वहीं उनकी कोशिश ब्रिक्स देशों के संगठन को कमजोर करना है. हाल ही में जब ब्रिक्स देशों का सम्मेलन हुआ, तो इसमें भी अमेरिका को लेकर काफी बातचीत हुई. जहां डोनाल्ड ट्रंप ब्रिक्स को कमजोर संगठन कहते रहे, वहीं इस संगठन में शामिल देशों ने अमेरिका की दादागीरी मानने से इनकार कर दिया.

ब्रिक्स पांच देशों का संगठन है, जिसमें –ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. इन देशों के बढ़ते प्रभाव और डॉलर-मुक्त व्यापार की कोशिशों से अमेरिका की आर्थिक प्रभुता को खतरा है. ऐसे में ट्रंप अब ब्रिटिश साम्राज्य की बांटो और राज करो नीति अपनाते हुए ब्रिक्स में फूट डालने की रणनीति पर चल रहे हैं. वे चीन को टैरिफ में राहत दे रहे हैं, जबकि भारत और रूस का नाम लेकर आलोचना कर रहे हैं, ताकि संगठन की एकता कमजोर हो.

ट्रंप की गोरों वाली नीति

ट्रंप ने ब्रिक्स को एक छोटा समूह कहकर 10 फीसदी टैरिफ की धमकी दी, लेकिन हाल ही में उन्होंने चीन को अपना महत्वपूर्ण भागीदार बताते हुए टैरिफ में ढील का संकेत दिया. दूसरी तरफ वे रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भी रूस से संपर्क रखने के लिए भारत पर हाई टैरिफ लगाने की चेतावनी दी. यह रणनीति ब्रिक्स की एकजुटता को तोड़ने की कोशिश है. ब्रिक्स वैश्विक अर्थव्यवस्था का 40 फीसदी हिस्सा रखता है और अपनी मुद्रा में व्यापार बढ़ाकर डॉलर की प्रभुता को चुनौती दे रहा है.

चीन को करना चाहता है अलग

ब्रिक्स की अगुवाई करने वाला देश चीन है. ऐसे में चीन के साथ ट्रंप का नरम रुख आर्थिक और रणनीतिक है. चीन अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और ट्रंप नहीं चाहते कि बीजिंग पूरी तरह ब्रिक्स के साथ मिलकर डॉलर-विरोधी नीति को तेज करे. वहीं दूसरी ओर, भारत और रूस को निशाना बनाकर ट्रंप ब्रिक्स के भीतर अविश्वास पैदा करना चाहते हैं. भारत पर अमेरिकी उत्पादों पर 100-200 फीसदी टैरिफ का आरोप और रूस पर युद्ध भड़काने का इल्जाम उनकी रणनीति का हिस्सा है.

क्या ब्रिक्स में पड़ेगी फूट?

ब्रिक्स का महत्वपूर्ण सदस्य भारत है और उसने रूस के साथ तेल और रक्षा सौदों को बढ़ाया है. ट्रंप की आलोचना से भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर दबाव पड़ सकता है, लेकिन भारत ने बार-बार तटस्थता बनाए रखी है. रूस, जो पहले ही पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, ब्रिक्स में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है. ऐसे में ट्रंप की रणनीति से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है. हालांकि अगर ऐसे वक्त में भी ब्रिक्स की एकता बनी रही, तो ट्रंप की यह रणनीति उल्टी पड़ सकती है. चीन अगर ब्रिक्स के साथ मजबूती से खड़ा रहा, तो डॉलर की वैल्यू घट सकती है. वैसे भी नाटो के साथ तनाव और ब्रिक्स पर आक्रामक रुख से अमेरिका वैश्विक मंच पर थोड़ा अलग-थलग हो ही चुका है.

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Prateeti Pandey

News18 में Offbeat डेस्क पर कार्यरत हैं. इससे पहले Zee Media Ltd. में डिजिटल के साथ टीवी पत्रकारिता भी अनुभव रहा है. डिजिटल वीडियो के लेखन और प्रोडक्शन की भी जानकारी . टीवी पत्रकारिता के दौरान कला-साहित्य के सा…और पढ़ें

News18 में Offbeat डेस्क पर कार्यरत हैं. इससे पहले Zee Media Ltd. में डिजिटल के साथ टीवी पत्रकारिता भी अनुभव रहा है. डिजिटल वीडियो के लेखन और प्रोडक्शन की भी जानकारी . टीवी पत्रकारिता के दौरान कला-साहित्य के सा… और पढ़ें

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