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दिल्ली-एनसीआर में EWS फ्लैट और स्टूडियो अपार्टमेंट में अंतर व कीमतें Studio apartment vs ews flat size is same then why price difference between expensive studio 1rk flat and cheap EWS flats in delhi ncr


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Studio apartment VS EWS flat: अक्सर आपने शहरों में ईडब्ल्यूएस फ्लैट और स्टूडियो अपार्टमेंट्स के बारे में सुना होगा. ये दोनों ही देखने में बेहद छोटे, कम जगह पर बने हुए, आकार में लगभग एक जैसे और एक ही जैसी डिजाइन के होते हैं. ये दोनों ही हाईराइज बिल्डिंगों से लेकर ग्राउंड प्लस फोर या लो फ्लोर फ्लैट्स के रूप में भी मिल सकते हैं. इसके बावजूद इनकी कीमतों में जमीन आसमान का अंतर होता है. दोनों को खरीदने के लिए भी अलग-अलग योग्यता या मानक चाहिए होते हैं. आखिर इन दोनों में ऐसा क्या अंतर होता है, चलिए आज आपको तस्वीरों के माध्यम से समझाते हैं.

दिल्ली-एनसीआर में न केवल ईडब्ल्यूएस फ्लैट बल्कि स्टूडियो अपार्टमेंट भी बड़ी संख्या में बने हुए हैं. ये दोनों ही देखने में लगभग एक जैसे, छोटे और बराबर जगह पर बने होते हैं. इनमें एक कमरा होता है, उसी में रसोई और एक कंबाइंड लेट्रिन-बाथरूम होता है लेकिन इनकी कीमतों में जमीन और आसमान का अंतर होता है.

दिल्ली-एनसीआर में न केवल ईडब्ल्यूएस फ्लैट बल्कि स्टूडियो अपार्टमेंट भी बड़ी संख्या में बने हुए हैं. ये दोनों ही देखने में लगभग एक जैसे, छोटे और बराबर जगह पर बने होते हैं. इनमें एक कमरा होता है, उसी में रसोई और एक कंबाइंड लेट्रिन-बाथरूम होता है लेकिन इनकी कीमतों में जमीन और आसमान का अंतर होता है.

जहां दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी से लेकर डीएलएफ जैसी बड़ी कंपनियां भी ईडब्ल्यूएस फ्लैट बनाती हैं, वहीं प्राइवेट बिल्डर्स, बड़े और नामी डेवलपर्स एनसीआर में स्टूडियो अपार्टमेंट्स बनाते हैं. गुरुग्राम में सेंट्रल पार्क के द रूम्स स्टूडियो अपार्टमेंट काफी फेमस हैं, जिनकी कीमत करोड़ों रुपये में है. जबकि डीडीए का ईडब्ल्यूएस फ्लैट करीब 10-11 लाख रुपये में आ जाता है. आखिर ऐसा क्यों होता है, आइए जानते हैं.

जहां दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी से लेकर डीएलएफ जैसी बड़ी कंपनियां भी ईडब्ल्यूएस फ्लैट बनाती हैं, वहीं प्राइवेट बिल्डर्स, बड़े और नामी डेवलपर्स एनसीआर में स्टूडियो अपार्टमेंट्स बनाते हैं. गुरुग्राम में सेंट्रल पार्क के द रूम्स स्टूडियो अपार्टमेंट काफी फेमस हैं, जिनकी कीमत करोड़ों रुपये में है. जबकि डीडीए का ईडब्ल्यूएस फ्लैट करीब 10-11 लाख रुपये में आ जाता है. आखिर ऐसा क्यों होता है, आइए जानते हैं.

स्टूडियो अपार्टमेंट एक छोटा सिंगल लिविंग लक्जरी फ्लैट होता है. जिसका एरिया 250 से 400 या 600 वर्ग फुट तक हो सकता है. इसमें एक ही बड़ा कमरा होता है जो बेडरूम, किचन और ड्राइंगरूम के अलावा वर्क रूम के रूप में इस्तेमाल होता है. एक शानदार बालकनी होती है, इसमें अलग से बस एक वॉशरूम होता है. ये आमतौर पर पॉश इलाकों में बनाए जाते हैं.

स्टूडियो अपार्टमेंट एक छोटा सिंगल लिविंग लक्जरी फ्लैट होता है. जिसका एरिया 250 से 400 या 600 वर्ग फुट तक हो सकता है. इसमें एक ही बड़ा कमरा होता है जो बेडरूम, किचन और ड्राइंगरूम के अलावा वर्क रूम के रूप में इस्तेमाल होता है. एक शानदार बालकनी होती है, इसमें अलग से बस एक वॉशरूम होता है. ये आमतौर पर पॉश इलाकों में बनाए जाते हैं.

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स्टूडियो अपार्टमेंट एक छोटा सिंगल लिविंग लक्जरी फ्लैट होता है. जिसका एरिया 250 से 400 या 600 वर्ग फुट तक हो सकता है. इसमें एक ही बड़ा कमरा होता है जो बेडरूम, किचन और ड्राइंगरूम के अलावा वर्क रूम के रूप में इस्तेमाल होता है. एक शानदार बालकनी होती है, इसमें अलग से बस एक वॉशरूम होता है. ये आमतौर पर पॉश इलाकों में बनाए जाते हैं.

स्टूडियो अपार्टमेंट एक छोटा सिंगल लिविंग लक्जरी फ्लैट होता है. जिसका एरिया 250 से 400 या 600 वर्ग फुट तक हो सकता है. इसमें एक ही बड़ा कमरा होता है जो बेडरूम, किचन और ड्राइंगरूम के अलावा वर्क रूम के रूप में इस्तेमाल होता है. एक शानदार बालकनी होती है, इसमें अलग से बस एक वॉशरूम होता है. ये आमतौर पर पॉश इलाकों में बनाए जाते हैं.

स्टूडियो अपार्टमेंट खासतौर पर रेडी टू लिव या फुली फर्निश्ड तरीके से तैयार किए जाते हैं. यहां टीवी से लेकर,गीजर, सोफा, बेड, एसी, किचर एप्लाइंसेज सहित सभी जरूरी चीजें मौजूद होती हैं. यानि कोई भी व्यक्ति बस एक जोड़ी कपड़े लेकर यहां ठहर सकते हैं.

स्टूडियो अपार्टमेंट खासतौर पर रेडी टू लिव या फुली फर्निश्ड तरीके से तैयार किए जाते हैं. यहां टीवी से लेकर,गीजर, सोफा, बेड, एसी, किचर एप्लाइंसेज सहित सभी जरूरी चीजें मौजूद होती हैं. यानि कोई भी व्यक्ति बस एक जोड़ी कपड़े लेकर यहां ठहर सकते हैं.

भारत में कई बड़ी कंपनियां काम के सिलसिले में आने वाले कर्मचारियों को कुछ दिन के लिए इन स्टूडियो अपार्टमेंट्स में अकॉमोडेशन यानि रहने की सुविधा देती हैं. हालांकि आम लोग भी इन्हें खरीद सकते हैं. इनकी कीमत लोकेशन के हिसाब से लाखों से लेकर करोड़ों रुपये में हो सकती है. आजकल नोएडा, गुरुग्राम ही नहीं कई छोटे शहरों में भी स्टूडियो अपार्टमेंट बन रहे हैं.

भारत में कई बड़ी कंपनियां काम के सिलसिले में आने वाले कर्मचारियों को कुछ दिन के लिए इन स्टूडियो अपार्टमेंट्स में अकॉमोडेशन यानि रहने की सुविधा देती हैं. हालांकि आम लोग भी इन्हें खरीद सकते हैं. इनकी कीमत लोकेशन के हिसाब से लाखों से लेकर करोड़ों रुपये में हो सकती है. आजकल नोएडा, गुरुग्राम ही नहीं कई छोटे शहरों में भी स्टूडियो अपार्टमेंट बन रहे हैं.

जबकि ईडब्ल्यूएस फ्लैट की बात करें तो ये आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए बनाए जाते हैं. ये ज्यादातर सरकार की तरफ से गरीब लोगों को शहरों में रिहाइश उपलब्ध कराने के लिए होते हैं. इनकी कीमतें स्टूडियो अपार्टमेंट के मुकाबले काफी कम यानि 4-5 लाख से 10-12 लाख रुपये तक भी हो सकती है. इनकी लोकेशन सामान्य जगहों पर हो सकती है.

जबकि ईडब्ल्यूएस फ्लैट की बात करें तो ये आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए बनाए जाते हैं. ये ज्यादातर सरकार की तरफ से गरीब लोगों को शहरों में रिहाइश उपलब्ध कराने के लिए होते हैं. इनकी कीमतें स्टूडियो अपार्टमेंट के मुकाबले काफी कम यानि 4-5 लाख से 10-12 लाख रुपये तक भी हो सकती है. इनकी लोकेशन सामान्य जगहों पर हो सकती है.

ईडब्ल्यूएस फ्लैटों का साइज भी 250 वर्ग फीट से 400 वर्ग फीट या 30 मीटर तक होता है. इसमें एक कमरा, रसोई और लेट्रिन बाथरूम होते हैं. कुछ जगहों पर उसी कमरे में खुली किचन होती है, जबकि कहीं, कहीं बहुत छोटा ड्राइंग रूम और एक बेडरूप, किचन, लेट्रिन बाथरूम होते हैं. इनमें भी बालकॉनी होती है और एक ईडब्ल्यूएस सोसायटी के रूप में एक जगह पर बनते हैं.

ईडब्ल्यूएस फ्लैटों का साइज भी 250 वर्ग फीट से 400 वर्ग फीट या 30 मीटर तक होता है. इसमें एक कमरा, रसोई और लेट्रिन बाथरूम होते हैं. कुछ जगहों पर उसी कमरे में खुली किचन होती है, जबकि कहीं, कहीं बहुत छोटा ड्राइंग रूम और एक बेडरूप, किचन, लेट्रिन बाथरूम होते हैं. इनमें भी बालकॉनी होती है और एक ईडब्ल्यूएस सोसायटी के रूप में एक जगह पर बनते हैं.

इन फ्लैटों को खरीदने के लिए सालाना आमदनी का प्रमाणपत्र लगाना पड़ता है. ये सिर्फ एक ही वर्ग के लिए होते हैं. इसमें एक छोटा परिवार आराम से रह सकता है. ये सामान्य रूप से बने होते हैं और इनमें जो भी रहता है वह अपना जो भी सामान चाहे रख सकता है.

इन फ्लैटों को खरीदने के लिए सालाना आमदनी का प्रमाणपत्र लगाना पड़ता है. ये सिर्फ एक ही वर्ग के लिए होते हैं. इसमें एक छोटा परिवार आराम से रह सकता है. ये सामान्य रूप से बने होते हैं और इनमें जो भी रहता है वह अपना जो भी सामान चाहे रख सकता है.

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बराबर छोटे, फिर भी ईडब्ल्यूएस फ्लैटों से महंगे क्‍यों स्‍टूड‍ियो अपार्टमेंट?



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