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बेटे के ओलंपिक मेडल पर फैमिली को नहीं हो रहा यकीन, 5 साल की उम्र में पिता ने थमा दी थी हॉकी स्टिक


जालंधर. भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक 2024 में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. टीम इंडिया लगातार दूसरे ओलंपिक में ब्रॉन्ज जीतकर इतिहास रचा. इस जीत में सुखजीत का भी अहम योगदान रहा. जिन्होंने अहम मौकों पर शानदार प्रदर्शन कर भारत को मेडल दिलाई. जालंधर से ताल्लुकात रखने वाले सुखजीत के करियर में एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें लगा कि अब वह मैदान पर वापसी नही कर पाएंगे. लेकिन इस खिलाड़ी की हिम्मत और जज्बे की दाद देनी होगी जिसकी बदौलत वह दोबारा खड़े हुए. सुखजीत को हॉकी विरासत में मिली है. उनके पिता अजीत सिंह नेशनल लेवल के खिलाड़ी रहे हैं. मेडल जीतकर जब सुखजीत घर पहुंचे तो परिवारवालों को यकीन नहीं हो रहा कि उनका बेटा पेरिस ओलंपिक से मेडल लेकर आया है.

साल 2018 में सुखजीत सिंह (Shukhjeet Singh) को एक अनजाने दर्द से 8 महीने तक बेड पर रहना पड़ा. दांये पैर में दर्द इतना ज्यादा था की एक तरह से उसने पूरी बॉडी को जकड़ लिया था. हालत इतनी खराब हो गई थी कि जो खिलाड़ी मैदान पर चीते की तरह विपक्षी टीम पर हमला बोलता था उसे चलने फिरने में कठिनाई होती थी. तब भी इस खिलाड़ी ने हिम्मत नही हारी. परिवार की मदद से खुद को फिर खड़ा किया और आज पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीत कर देश और परिवार का नाम रोशन कर दिया.

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