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भारत में काला धागा बांधने का धार्मिक और स्वास्थ्य महत्व


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Religious Tradition: भारत में काला धागा बांधना धार्मिक परंपरा, आस्था और स्वास्थ्य से जुड़ा विश्वास है. इसे बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जा और ग्रह दोषों से बचाव के लिए बांधा जाता है.

आर्या झा/मधुबनीः भारत में काला धागा बांधना केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं,बल्कि आस्था,आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य से जुड़ा एक गहरा विश्वास है. सदियों पुरानी यह परंपरा आज भी लोगों के जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है. एक ट्रेंड या यूं कहें की नजर से बचाने के लिए घर के बड़े बुजुर्ग दादी घर के बच्चों खासकर लड़की को एक पैर में काला धागा बांध देती है, जिसे बताती है एक पैर दर्द और नजर दोनों से बचें रहने का टोटका है.

परंपरा और टोटका दोनों 
मिथिलांचल में इसे मानने वालों की संख्या भी बेहद अधिक है. अधिकतर लोग इसे पहनने का मुख्य उद्देश्य बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जा और ग्रह दोषों से सुरक्षा को मानते हैं. ऐसे में हम आपको बताएंगे कि काले धागे से क्या होता है, क्यों बांधते हैं और क्या है इसके पीछे का रहस्य.

दरअसल, सनातन धर्म में काले धागे को रक्षा का प्रतीक माना जाता है. आमतौर पर इसे दाहिने या बाएं हाथ, पैर या कमर में बांधा जाता है, जो व्यक्ति की जरूरतों के आधार पर तय होता है. काले धागे का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि इसका उल्लेख आयुर्वेद और ज्योतिष में भी मिलता है. माना जाता है कि यह धागा व्यक्ति के चारों ओर एक अदृश्य सुरक्षा कवच तैयार करता है, जो बुरी शक्तियों और ईर्ष्या के प्रभाव से उसकी रक्षा करता है.

बुरी नजर से बचने में मदद 
बुरी नजर से बचाने के लिए काले धागे का उपयोग खासतौर पर बच्चों और नवजात शिशुओं में आम है. इसे विशेष रूप से मंत्रोच्चार और भगवान के नाम के साथ पवित्र कर बांधा जाता है, जिससे इसकी प्रभावशीलता और बढ़ जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह धागा शनि, राहु और केतु जैसे नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव को भी शांत करता है.

काले रंग को ऊर्जा अवशोषित करने वाला माना जाता है, जिससे यह नकारात्मक ऊर्जा को खुद में समाहित कर व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाता है. यही कारण है कि इसे पहनने से आत्मविश्वास, मनोबल और सकारात्मकता में वृद्धि होती है. वैदिक धार्मिक मान्यता ये कि कि काला धागा शरीर में ऊर्जा संतुलन बनाए रखने में भी सहायक हो सकता है. कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके फाइबर में चुंबकीय गुण होते हैं, जो रक्तचाप और तनाव जैसी समस्याओं में राहत दे सकते हैं.

परंपरा को श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाते

आज भी कई लोग जीवन में सुरक्षा, शांति और सौभाग्य के लिए इस परंपरा को श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाते हैं. यह धार्मिक आस्था को भी बतलाता है. काले धागे की यह साधारण सी डोर, असल में व्यक्ति के जीवन को नकारात्मकता से जोड़ने वाली गुत्थियों को सुलझाने का एक सकारात्मक उपाय बन चुकी है.

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Amit ranjan

मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले…और पढ़ें

मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले… और पढ़ें

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परंपरा या टोटका? लड़कियां एक पैर में क्यों पहनती हैं काला धागा,जानिए इसके पीछे

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



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