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भारत में 97 लाख पुरानी और प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों को कबाड़ में भेजने से सरकार को 40 हजार करोड़ रुपये का जीएसटी मिल सकता है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि यह कदम रोजगार बढ़ाने और ऑटो सेक्टर को दुनिया में नंबर वन बनाने की दिशा में बड़ा बदलाव ला सकता है.
नितिन गडकरी ने कहा कि 97 लाख गाड़ियों को कबाड़ में भेजने से 40 हजार करोड़ का GST मिलेगा.(Image:News18)स्क्रैपिंग पॉलिसी की मौजूदा स्थिति
भारत की वाहन स्क्रैपिंग पॉलिसी (V-VMP) पुरानी और असुरक्षित गाड़ियों को हटाने के लिए बनाई गई है. लेकिन अब तक प्रगति धीमी रही है. अगस्त 2025 तक सिर्फ 3 लाख गाड़ियां स्क्रैप हुई हैं, जिनमें से 1.41 लाख सरकारी थीं. फिलहाल हर महीने औसतन 16,830 गाड़ियां ही कबाड़ में जा रही हैं. निजी क्षेत्र ने इस इकोसिस्टम को बनाने में 2,700 करोड़ रुपये का निवेश किया है. गडकरी ने ऑटो कंपनियों से अपील की है कि वे स्क्रैपेज सर्टिफिकेट लाने वाले ग्राहकों को नई गाड़ी पर कम से कम 5 फीसदी की छूट दें, ताकि लोग इस योजना में तेजी से जुड़ें.
गडकरी का कहना है कि अगर स्क्रैपिंग पॉलिसी का सही तरह से पालन किया गया, तो ऑटो कंपोनेंट्स की लागत 25 फीसदी तक घट सकती है. क्योंकि स्क्रैप से निकलने वाला स्टील, एल्युमिनियम और अन्य धातुएं फिर से सप्लाई चेन में लौटेंगी. साथ ही, पुरानी गाड़ियों को हटाने से प्रदूषण कम होगा, ईंधन की खपत घटेगी और सड़क सुरक्षा के मानक मजबूत होंगे. गडकरी ने बताया कि भारत हर साल 22 लाख करोड़ रुपये की पेट्रोल-डीजल आयात पर खर्च करता है, जो लंबे समय तक टिकाऊ नहीं है.
भविष्य का रोडमैप: एथेनॉल और ऊर्जा सुरक्षा
भारत का मौजूदा ऑटो सेक्टर 22 लाख करोड़ रुपये का है, जबकि चीन 47 लाख करोड़ और अमेरिका 78 लाख करोड़ के स्तर पर हैं. गडकरी ने भरोसा जताया कि भारत जल्द ही इन्हें पीछे छोड़ देगा. इसके लिए सरकार एथेनॉल उत्पादन और ब्लेंडिंग पर जोर दे रही है. फिलहाल देश E20 से E27 मिश्रण की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि ब्राजील 49 सालों से 27% एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल पर चल रहा है, भारत भी ऐसा कर सकता है. गडकरी ने सड़क सुरक्षा को भी राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ा और कहा कि प्रदूषण नियंत्रण, ईंधन आत्मनिर्भरता और सुरक्षित यातायात ही भारत को मजबूत बनाएंगे.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in …और पढ़ें
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