जर्मन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन न्यूट्रिशन के ट्विन स्टडी और यूनिवर्सिटेट ओबर्टा डे कैटालुनिया (UOC) के रिसर्च के अनुसार, शाम 5 बजे के बाद 45% से ज्यादा कैलोरी लेना ग्लूकोज लेवल का बैलेंस को खराब करता है.
रात के 10 बजे के बाद डिनर करना या मिडनाइट स्नैकिंग आजकल आम हो गया है, लेकिन यह आपके बॉडी क्लॉक को पटरी से उतार सकती है.
डीप स्लीप में रुकावट
रात में देर से खाना शरीर की नैचुरल क्लोक को प्रभावित करता है. रात के समय शरीर आराम और मरम्मत मोड में चला जाता है. देर रात भोजन के कारण का पाचन तंत्र के एक्टिवेट रहता है. पेट, लीवर, आंतें और अग्न्याशय रात भर काम में लगी रहती हैं. इससे शरीरी की ऊर्जा की बर्बादी होती है. इसके साथ ही शरीर डीप स्लीप में एंट्री नहीं ले पाता है. इससे शरीर में सेल की मरम्मत रुक जाती है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह आदत नींद की गुणवत्ता को खराब करती है. इससे सुबह थकान महसूस होती है. दिल्ली के इंद्रप्रस्त अपोले हस्पताल में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. अरुण प्रसाद कहते हैं, “इसके शरीर बजाय मरम्मत के ऊर्जा का इस्तेमाल भोजन को पचाने में करने लग जाता है.” यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर मेडिकल सेंटर के अनुसार, रात में खाना पचाने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है, क्योंकि मेटाबॉलिज्म रेट रात को कम होता है. इससे ब्लोटिंग, बेचैनी या एसिड रिफ्लक्स जैसी समस्याएं बढ़ती हैं. स्टडी में पाया गया कि रात 2-3 घंटे पहले खाना बंद करने वाले लोगों को ज्यादा अच्छे सपने आते हैं और सुबह तरोताजा महसूस होता है.
मोटापा, डायबिटीज का खतरा
देर रात खाने का सबसे बड़ा असर मेटाबॉलिज्म पर पड़ता है. साइंटेक डेली की जुलाई 2025 रिपोर्ट के मुताबिक, ट्विन स्टडी में पाया गया कि देर शाम कैलोरी लेने वालों में इंसुलिन सेंसटीविटी कम हो जाती है, जो टाइप-2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ाती है. प्रोफेसर ओल्गा रैमिच कहती हैं, “दिन में मुख्य कैलोरी लेने वालों में इंसुलिन सेंसटीविटी बेहतर थी. वहीं, देर रात कैलोरी लेने वालों में यह खराब थी, जो डायबिटीज के जोखिम से जुड़ी है.”
UOC के नवंबर 2024 अध्ययन में 50-70 साल के प्री-डायबिटीज या टाइप-2 डायबिटीज वाले 92 लोगों पर रिसर्च की गई. इसमें पाया गया कि शाम 5 बजे के बाद 45% कैलोरी लेने से ग्लूकोज टॉलरेंस बिगड़ जाता है. डॉ. डायना डियाज रिजोलो बताती हैं, “रात में ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म की क्षमता सीमित होती है, क्योंकि इंसुलिन निकलना कम हो जाता है और सेल्ज की सेंसटीविटी घट जाती है.” इससे लंबे समय में टाइप-2 डायबिटीज, हृदय रोग और क्रॉनिक इंफ्लेमेशन का खतरा बढ़ता है.
मेडिकल न्यूज टुडे के जुलाई 2025 लेख में NUGAT ट्विन स्टडी का हवाला देते हुए कहा गया कि देर रात भोजन ब्लड शुगर कंट्रोल को कठिन बनाता है. इसके अलावा, URMC के अनुसार, डायबिटीज वाले लोगों में यह ब्लड शुगर स्पाइक्स और ड्रॉप्स का कारण बनता है, जो अगले दिन भूख को प्रभावित करता है. मोटापे का जोखिम भी बढ़ता है, क्योंकि रात में फैट जलाने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है.
कैंसर तक खतरे भी शामिल
NIH के फरवरी 2024 अध्ययन में नाइट ईटिंग को कैंसर, डायबिटीज और ऑल-कॉज मॉर्टेलिटी से जोड़ा गया. हालांकि, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की रिपोर्ट कहती है कि यह हमेशा हानिकारक नहीं, लेकिन मोटापा और बॉडी फैट बढ़ाता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि देर रात खाने का प्रभाव व्यक्ति-विशेष पर निर्भर करता है. URMC की रजिस्टर्ड डायटीशियन जिल चोडक कहती हैं, “उत्तर हां या ना इतना सरल नहीं है. इसका असर व्यक्ति के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है.” डायबिटीज वाले लोगों के लिए यह खतरनाक है, लेकिन स्वस्थ व्यक्तियों में कभी-कभी ठीक हो सकता है.
कम खाएं खाना
मेडिकल न्यूज टुडे में डेस्टिनी मूडी (RD) चेताती हैं, “मैं खाने के समय बदलने के बारे में संशय में हूं, जब तक डायबिटीज न हो. आपका पाचन तंत्र शिफ्ट में काम नहीं करता.” वे जोर देती हैं कि ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव सामान्य है, लेकिन रिफाइंड शुगर और कम फाइबर वाले भोजन से बचें. साइंटेक डेली में प्रो. रैमिच कहती हैं, “खाने का समय आंशिक रूप से आनुवंशिक है, इसलिए आदतें बदलना कुछ लोगों के लिए मुश्किल हो सकता है.” UOC की डॉ. रिजोलो सलाह देती हैं, “भोजन का समय कार्डियोमेटाबॉलिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है. न केवल कितना और क्या खाएं, बल्कि कब खाएं.” इंडियन एक्सप्रेस में डॉ. प्रसाद टिप्स देते हैं की रात 11 बजे सोने वालों के लिए डिनर 7-7:30 बजे तक खत्म करें. भारी या तीखा भोजन न लें.
विशेषज्ञों के अनुसार, रात में भूख लगे तो हल्का स्नैक जैसे फल, नट्स या गर्म दूध लें. चोडक कहती हैं, “एसिड रिफ्लक्स वाले हाई-प्रोटीन एनिमल फूड्स से बचें और सब्जी-आधारित स्नैक्स चुनें.” दिन में पर्याप्त प्रोटीन, फाइबर और फैट लें ताकि रात की भूख कम हो. नियमित भोजन और नींद का शेड्यूल बनाएं.



