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अमेरिका, हिंदुस्तानी लोगों को कितने तरह के वीजा देता है? किस वीजा का क्या मतलब है?


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस बढ़ा दी है. इससे दुनिया में खलबली मची है. खासतौर से IT सेक्टर के लिए इसे तगड़ा झटका माना जा रहा है. हालांकि यह सिर्फ अकेला वीजा नहीं है जो अमेरिका की ओर से जारी किया जाता है. यूएस स्टेट डिपोर्टमेंट के मुताबिक अमेरिका की ओर से कुल 20 से ज्यादा प्रकार के नॉन इमिग्रेंट वीजा जारी किए जाते हैं, जबकि 5 से 6 इमिग्रेंट वीजा भी अमेरिका जारी करता है. इनमें कुछ वीजा ऐसे हैं जो भारतीयों के लिए ज्यादा मुफीद हैं.

अमेरिका में भारतीयों की संख्या अच्छी खासी है. हर साल बड़ी तादाद में यहां के युवा अमेरिका शिफ्ट होते हैं. पिछले साल का ही आंकड़ा देखें तो अमेरिकी की ओर से तकरीबन 10 लाख से ज्यादा नॉन इमिग्रेंट यानी गैर आवासीय वीजा जारी किए गए थे. इस साल भी यही ट्रेंड जारी है. हालांकि H-1B वीजा पर बढ़ी फीस से भारतीय युवाओं को झटका जरूर लगा है.

अमेरिका में वीजा की दो कैटेगरी

अमेरिका में वीजा को दो मुख्य कैटेगरी हैं, इनमें नॉन इमिग्रेंट वीजा अस्थायी होता है, यानी कुछ महीनों या सालों के लिए इसे लिया जाता है, इसके बाद भारत वापस लौटना होता है. इसके अलावा एक है इमिग्रेंट वीजा. यानी अमेरिका में स्थायी तौर पर बसने के लिए इसे लिया जाता है. गैर आवासीय वीजा कोई भी वह व्यक्ति ले सकता है जिसका अमेरिका में बसने का इरादा नहीं है. इसके लिए DS-160 फॉर्म भरता होता है और इंटरव्यू और निश्चित फीस देनी होती है. भारत में मुंबई, चेन्नई हैदराबाद, कोलकाता और नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास हैं जहां ये प्रक्रिया पूरी होती है. वही इमिग्रेंट वीजा ग्रीनकार्ड की तरह है, जहां आप अमेरिका में हमेशा रह सकते हैं, काम कर सकते हैं. हालांकि इसका प्रोसेस लंबा है.

कितने तरह के नॉन इमिग्रेंट वीजा?

1- बी-1/बी-2 वीजा (टूरिस्ट या बिजनेस वीजा): यह सबसे कॉमन है, हालांकि यह सिर्फ टूर या बिजनेस के लिए ही मिलता है. इनमें बी-1 बिजनेस मीटिंग, कॉन्फ्रेंस या नेगोशिएशन के लिए तथा बी-2 घूमने-फिरने, वेकेशन, मेडिकल ट्रीटमेंट या परिवार से मिलने के लिए जारी होता है. यह अधिकतम छह माह तक के लिए होता है.

2- एफ-1/एम-1 वीजा (स्टूडेंट वीजा): एफ-1 यूनिवर्सिटी या कॉलेज में पढ़ाई के लिए जारी किया जाता है, जबकि एम-1 वीजा वोकेशनल या ट्रेनिंग कोर्स के लिए जारी होता है. इस वीजा को कोर्स की ड्यूरेशन के हिसाब से जारी किया जाता है. कोर्स का जो समय है उससे 2 माह का समय अतिरिक्त दिया जाता है.

3- जे-1 वीजा (एक्सचेंज विजिटर): यह वीजा उन लोगों को दिया जाता है जो कल्चरल एक्सचेंज के तहत अमेरिका जाते हैं. मसलन प्रोफेसर, रिसर्चर, डॉक्टर जो किसी रिसर्च या मेडिकल कांफ्रेंस के लिए जा रहे हैं, उन्हें यह वीजा मिलता है, इसका अधिकतम समय 2 साल है.

4- एच-1बी वीजा (स्पेशलाइज्ड वर्क): यही वो वीजा है, जिसकी फीस ट्रंप ने बढ़ा दी है. यह वीजा आईटी, इंजीनियरिंग जैसे हाई-स्किल्ड जॉब्स के लिए है. इसके लिए स्पेशल नॉलेज वाली नौकरी के साथ बैचलर डिग्री भी जरूरी है. इसकी अधिकतम समय सीमा 3 साल है, जिसे 6 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है.

5- एल-1 वीजा (इंट्रा-कंपनी ट्रांसफर): अगर कंपनी में इंटरनल किसी का ट्रांसफर होता है तो उसे एल-1 वीजा के लिए अप्लाई करना होता है, यह खासतौर से मल्टीनेशनल कंपनी के एम्पलॉयी के लिए होता है. इसमें मैनेजर रैंक के लिए अधिकतम समय सीमा 7 साल है, जबकि स्पेशलिस्ट के लिए 5 साल.

6- O1 वीजा (एक्स्ट्राऑर्डिनरी एबिलिटी): यह वीजा साइंस, आर्ट्स, बिजनेस या स्पोर्ट्स में टैलेंटेड लोगों के लिए है. यानी किसी अवार्ड, रिकग्निशन वालों को यह वीजा मिलता है, जैसे वैज्ञानिक, कलाकार, खिलाड़ी यह वीजा उनके लिए होता है.

ये हैं इमिग्रेंट वीजा

1- फैमिली-बेस्ड: इमिग्रेंट वीजा कैटेगरी में पहला वीजा फैमिली बेस्ड मिलता है, यह वीजा वे लोग ले सकते हैं, जिनके परिवार में किसी को यूएस सिटीजन मिल चुकी है, या वो ग्रीनकार्ड होल्डर है. इनमें इमीडिएट रिलेटिव्स को प्राथमिकता मिलती है.

2- एम्प्लॉयमेंट-बेस्ड (ईबी-1 से ईबी-5): यह आपके काम के हिसाब से मिलता है, अगर आप साइंटिस्ट हैं तो आप टॉप टैलेंट माने जाएंगे और आपको ईबी-1 कैटेगरी का वीजा मिलेगा, ईबी-2/3 अन्य प्रोफेशनल्स के लिए हैं, जबकि ईबी-5 इनवेस्टमेंट करने वालों के लिए होता है.

3- डाइवर्सिटी वीजा (लॉटरी): यह वीजा सिर्फ लो इमिग्रेशन वाले देशों के लिए है, भारतीय इसके लिए अप्लाई नहीं कर सकते हैं.

4- स्पेशल इमिग्रेंट: यह वीजा रिफ्यूजी, अडॉप्शन या स्पेशल केस के लिए होता है, जिसका प्रयोग बेहद कम किया जाता है.



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